लालगंज(रायबरेली)। कस्बे में चल रही श्रीमद्भागवत हृदय कथा सप्ताह के पांचवे दिन वीतराग ज्ञानागार परमहंस स्वामी स्वात्मानन्द Swami Swatmanand महाराज ने कहा कि ‘‘सर्वम् सिव मयम् जगत इति ज्ञानम् ’’, जिसकी दृष्टि सिवमय हो जाती है उसे सत्य का ज्ञान हो जाता है। उसके जीवन में मृत्यु का भय नहीं रह जाता है। उसका कोई शत्रु नहीं होता और जब जीवन में कोई शत्रु ही नहीं है तो मृत्यु के भय की आभा भी समाप्त हो जाती है।
Swami Swatmanand : जिनसे शत्रुता है उनसे भी मित्रता करो
Swami Swatmanand स्वामी जी महाराज ने व्यवहारिक जीवन में कटुता और आत्मीयता का विवेचन करते हुए कहा कि व्यवहार में भेद हटाना चाहिए। किसी को शत्रु नहीं बनाना चाहिए, जिनसे शत्रुता है उनसे भी मित्रता करो। यदि सहजता से मित्रता न हो सके तो युक्ति पूर्वक मित्रता करो। शत्रुता से अच्छा सामाजिक जीवन नहीं जिया जा सकता है। कठोर वचन बोलकर हम किसी को पीड़ा पहुंचाने के अतिरिक्त और कुछ भी प्राप्त नहीं कर सकते।
ब्रम्हचर्य से बौद्धिक क्षमता का विकास
उन्होंने ब्रम्हचर्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ब्रम्हचर्य से बौद्धिक क्षमता का विकास होता है। ब्रम्हचर्य जीवन अर्थात् ऐसा जीवन जिसमें कोई विकार न हो और प्रमाद न हो। उन्होंने कहा कि ब्रम्हचर्य शब्द ब्रम्ह से निर्मित है अर्थात् ऐसा जीवन जिसमें वेदानुसार आचरण हो। वेदों के अनुसार यदि राजा और प्रजा दोनों आचरण करें तो सर्वत्र सुख और आनन्द ही आनन्द होगा। जो ब्रम्हचर्य का जीवन जीता है वह निसिद्ध जीवन नहीं जी सकता। स्वामी जी ने कहा कि यदि मानव मात्र ब्रम्हचर्य का व्रत धारण कर ले तो मानवता का कभी भी हनन नहीं होगा।
त्यागमूर्ति स्वामी जी महाराज ने कहा कि जब तक व्यक्ति ईश्वर के प्रति भाव भक्ति में नहीं जाता, तब तक उसे उसके आनन्द की अनुभूति नहीं होती। उन्होंने कहा कि यह ठीक वैसे ही है जैसे यदि गुड़ बाहर रखा हो तो हमें उसके स्वाद की अनुभूति नहीं होती। परन्तु जब गुड़ हमारी जीभ के संपर्क में आता है तभी हमें उसके स्वाद की अनुभूति होती है। उन्होंने कहा इसी प्रकार जब तक कोई भक्ति के जीवन में नहीं आता तब तक उसे उस परम आनन्द की अनुभूति नहीं होती।
इस अवसर पर कथा यजमान सुनील सिंह, सुरे नारायण सिंह, बच्चा बाबू, शांतनु सिंह, अम्बुज दीक्षित, मनोज पाण्डेय बजरंगदास, डॉ0 जयप्रकाश शुक्ला, राकेश पाण्डेय, शेर बहादुर सिंह, डॉक्टर विनय भदौरिया, अरूण कुमार सिंह मुन्ना, सुशील शुक्ला, आर के पाण्डेय, जगदम्बा तिवारी, पीएस तिवारी आदि लोग मौजूद रहे।