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Tag Archives: के. विक्रम राव

सर सैय्यद तो जंगे आजादी के खिलाफ थे, फिर जलसा कैसा?

मुस्लिम अलगाववाद के नायाब शिल्पी सर सैय्यद अहमद खान का जन्मोत्सव भारत में मनाया जा रहा है। कड़ुए ऐतिहासिक यथार्थ को भुलाकर। दोआबा की तहजीबी संगमी-परंपरा को नजरंदाज कर। भारतीय मुसलमानों की अलग कौमियत को उभारकर उन्होंने वतन को विभाजित कराने की नींव डाली थी। असल में दिल्ली के जामिया ...

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काफिर को मारो 72 हूरें पाओ..फिल्म JNU में दिखाई गई!

आतंकी विषय-वस्तु पर एक नई फिल्म “बहत्तर हूरें” नई दिल्ली के जेएनयू (नेहरू विश्वविद्यालय) में कल (मंगलवार, 4 जुलाई 2023) स्क्रीन की गई। भारत सरकार के फिल्म सेंसर बोर्ड द्वारा प्रमाणित इसका संक्षिप्त ट्रेलर 28 जून को दर्शाया गया था। डिजिटल रिलीज भी हुआ। इसका कथानक कुछ दिग्भ्रमित युवजनों पर ...

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अफ्रीकी और ऐशियायी दिग्गज साथ आए!

अल-हकीम मस्जिद मिस्र का भारत के लिए भी महत्व है। अतः मोदी का जाना जरूरी था। यह चौथी सबसे बड़ी अकीदतमंदों का पूजास्थल है, मोहम्मद बुरहानुद्दीन द्वारा 1980 में सफेद संगमरमर और सोने की ट्रिम में इस मस्जिद का बड़े पैमाने पर पुनर्निर्माण और नवीनीकरण किया गया था। जीर्णोद्धार में ...

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मजहब के नाम पर पसमांदा मुसलमानों का शोषण बंद हो!

भारत के अस्सी प्रतिशत मुसलमानों को अब कार्ल मार्क्स वाला वर्ग संघर्ष का सिद्धान्त बड़ा नीक लग रहा होगा। डेढ़ सदियों से वे सब अमीर-कुलीन मुसलमानों द्वारा शोषण के शिकार होते रहे हैं। बैरिस्टर मुहम्मद अली जिन्ना ने उनकी पिछली पीढ़ी को ठगा था। ऑल-इंडिया मुस्लिम लीग के नाम पर। ...

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तुर्किया की हुकूमत सिहर गई छोकरे द्वारा बनाई गई मूंछों से!

इस्लामी तुर्की के बारहवें राष्ट्रपति साठ-वर्षीय कट्टरवादी रजब तैयब इर्दुगान शायद अरबी शब्दों रहीम (दयालु) और रहमत (कृपा) के मायने ठीक से नहीं जानते। वर्ना वे एक तरुण, सोलह साल के अल्पवयस्क को जेल के सींखचों के पीछे नहीं फिकवा देते। उस नासमझ छोकरे ने एक मामूली सा मजाक किया ...

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गृहमंत्री ने दम दिखाकर चीन को समझाया!

बड़ी याद आती है जवाहरलाल नेहरू की! भले ही आज न तो उनकी पुण्यतिथि है, न जयंती। फिर कवि प्रदीप की पंक्ति कौंध जाती है, “जरा आंख में भर लो पानी।” नेहरू ने भारत मां के नेत्रों को अश्रुपूरित कर दिया था, 20 अक्तूबर 1962 को। अब नजारा बदला है। सूर्य ...

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बलूच बागी को अपना बिरादर मानें

आजादी के साढ़े सात दशक बाद भारतीय मीडिया आज भी अंग्रेजी औपनिवेशिक प्रवृत्ति से ग्रस्त है, गाफिल है। विदेश के समाचार-प्रकाशन में राष्ट्रीय भावना को अपने मन में बैठाने और पाठकों को समझाने में विफल रहा है। उदाहरण हैं आज (8 अप्रैल 2023) के अखबार। मसलन बलूचिस्तान की खबर आई ...

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“निराशा के कर्तव्य” पढ़ें विपक्षी नेता

विपक्ष के जिन 14 दलों की याचिका उच्चतम न्यायालय ने कल (6 अप्रैल 2023) खारिज कर दी, उनके सब पुरोधाओं को डॉ राममनोहर लोहिया का लेख “निराशा के कर्तव्य” को मन लगाकर पढ़ना चाहिए। (पृष्ठ 250-280 : “लोहिया संचयिता” (प्रकाशक : अनामिका, 21-ए अंसारी रोड, दरियागंज, नई दिल्ली)। लेखक द्वय ...

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फर्जी इतिहास पढ़ाना देशद्रोह

हायतोबा बड़ा मच गया फिर, जब हाल ही में सुर्खियों में खबर आई कि इतिहास की पुस्तकों में से मुगल काल हटा दिया गया है। यह वाजिब है क्योंकि अंग्रेजी राज में ही इतिहास लेखन की पीठिका गठी गयी थी जिसका ध्येय था कि इस्लामी कालखंड को सकारात्मक नजर से ...

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एक गुलाम एशियाई द्वीप!

भारत की जंगे आजादी के इतिहास में (10 मई 1857 के बाद) सर्वप्रथम अंग्रेजी सेना को हिंदुस्तानी सैनिकों ने कहां परास्त किया था? शायद ही कोई तत्काल जवाब दे पाए। कारण? यह मुक्ति संघर्ष आठ दशक पहले मुंबई तट से पांच हजार किलोमीटर दूर, हिंद महासागर के पूरब में हुआ ...

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