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अफ्रीकी और ऐशियायी दिग्गज साथ आए!

         के विक्रम राव

अल-हकीम मस्जिद मिस्र का भारत के लिए भी महत्व है। अतः मोदी का जाना जरूरी था। यह चौथी सबसे बड़ी अकीदतमंदों का पूजास्थल है, मोहम्मद बुरहानुद्दीन द्वारा 1980 में सफेद संगमरमर और सोने की ट्रिम में इस मस्जिद का बड़े पैमाने पर पुनर्निर्माण और नवीनीकरण किया गया था। जीर्णोद्धार में 27 महीने लगे और 24 नवंबर 1980 को मिस्र के राष्ट्रपति अनवर सादात, और अन्य उच्च पदस्थ मिस्र के अधिकारियों द्वारा आयोजित एक समारोह में मस्जिद को आधिकारिक रूप से फिर से खोला गया। प्लास्टर नक्काशियों, लकड़ी के टाई-बीम और कुरान के शिलालेखों सहित मूल सजावट के अवशेष संरक्षित किए गए हैं। चार आर्केड्स से घिरे इस मस्जिद का बड़ा सा आंगन है। दो मीनारें हैं। मस्जिद का इस्तेमाल 14वीं सदी में रोक दिया गया, और इसका अस्तबल के तौर पर इस्तेमाल किया गया।

नेपोलियन के आधिपत्य में फ्रांसिसी अभियान के दौर तक इस मस्जिद का जेल के रूप में उपयोग किया जाता था। फ्रांसिसी मस्जिद के मीनार का वॉच टॉवर के रूप में लगाया था। समृद्ध सजावट और कुफिक लिपि को मस्जिद के अंदरूनी हिस्सों पर, मीनारों के शाफ्ट पर और मिहराब (जहां इमाम खड़े होते हैं) के ऊपर, गुंबद की खिड़कियों पर स्टुको फ्रिज़ सजावट पर देखा जा सकता है। मस्जिद अल-हकीम के पुनर्निमाण की कई बार नौबत आई। भूकंप की वजह से 13वीं सदी से पहले मस्जिद ध्वस्त हो गया था। बाद में बायबर्स अल-गशांकिर के दौर में और फिर सुल्तान हसन के दौर में इसका विकास किया गया।

अफ्रीकी और ऐशियायी दिग्गज साथ आए

मोदी के प्रति मिस्र के राष्ट्रपति अल सीसी ने अपनी गहरी श्रद्धा तथा स्नेहभाव दर्शाया। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मिस्र का उच्चतम नागरिक सम्मान “आर्डर ऑफ दि नाइल” प्रदान किया। यह भारत रत्न के समान है। यह पुरस्कार अब तक पाने वालों में सोवियत नेता निकिता खुश्चेव, हिंदेशिया के अहमद सुकर्ण, दक्षिण अफ्रीका के नेल्सन मंडेला, महारानी एलिजाबेथ, अमेरिकी राष्ट्रपति जिम्मी कार्टर आदि। इसके अतिरिक्त अन्य इस्लामी राष्ट्रों से मोदी द्वारा प्राप्त पुरस्कारों में से अब्दुल अजीज अल साउद, अफगानिस्तान का गाजी अमीर अमानुल्लाह खान, फिलिस्तीन का ग्रांड कालर ऑफ दि स्टेट, अमीरात का जायद पुरस्कार, मालदीव का निशाने इजुद्दीन आदि रहे।

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यहां उल्लेखनीय है कि मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल फतह अल-सीसी भारत के गणतंत्र दिवस 2016 में नई दिल्ली आने के बाद से अब शीघ्र ही चौथी बार भारत आने वाले हैं। मोदी-अब्दुल फतह की मित्रता के माध्यम से मिस्र से मित्रता व्यापक हुई है। वह नेहरू-नासिर जैसी। इन दोनों महाद्वीपों (अफ्रीका व एशिया) के उन दोनों नायकों के माध्यम से शांति प्रयास में मदद भी मिलेगी।

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