नहीं झुकी ज़माने की जबर्दस्ती के आगे, हवाओं के ख़िलाफ़ बहने वाली वामा हूँ, मेरी सोच हर सीमाओं को लाँघकर भागे, पढ़कर मेरी कहानी चाहती हूँ सोई हुई कुछ नारियों की आत्मा जागे सदियों से चली आ रही मानसिकता को तोड़ना आसान नहीं होता, पर हौसला बुलंद हो तो हार ...
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