पुष्कर मेले (Pushkar fair) या कोई भी राजस्थानी त्यौहार, चमकीले कपड़े पहने कालबेलिया नर्तकियों के बिना अधूरा माना जाता है. इस नृत्य को 1980 के दशक में राजस्थान की एक बंजारा समुदाय की प्रसिद्ध नर्तकी गुलाबो सपेरा की बदौलत दुनिया भर में प्रसिद्धि मिली है. काले आधार वाले रंग-बिरंगे घाघरा ...
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राजस्थानी को कब हासिल होगा निज भाषा का गौरव?
मातृभाषा किसी भी देश या क्षेत्र की संस्कृति और अस्मिता की संवाहक होती है. इसके बिना मौलिक चिंतन संभव नहीं है. नई शिक्षा नीति में कक्षा 5 तक शिक्षा का माध्यम मातृभाषा, स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा में रखने की बात कही गई है, लेकिन राजस्थान के लोग मातृभाषा में शिक्षा ...
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