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Tag Archives: संकुचित सोच

पहले आलोचना, अब होती है सराहना

भारत में आज भी यह मानसिकता हावी है कि कमाई करना केवल पुरुषों का ही काम है और घर का चूल्हा चौका संभालना महिलाओं का. हालांकि बदलते वक़्त के साथ शहरी क्षेत्रों में इस संकुचित सोच में बदलाव आया है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी यह सोच बहुत हद ...

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माहवारी पर संकुचित सोच से आज़ाद नहीं हुआ ग्रामीण समाज

हम भले ही आधुनिक समाज की बात करते हैं, नई नई तकनीकों के आविष्कार की बातें करते हैं, लेकिन एक कड़वी सच्चाई यह भी है कि महिलाओं के प्रति आज भी समाज का नजरिया बहुत ही संकुचित है. बराबरी का अधिकार देने की बात तो दूर, उसे अपनी आवाज उठाने ...

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