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Tag Archives: सुन्दर कांड और लंका कांड

परमार्थ से बड़ा कोई धर्म नहीं: प्रेमभूषण महाराज

मनुष्य के द्वारा किया जाने वाला परमार्थ कार्य उसकी अपनी किसी भी आपातकाल की स्थिति आने पर सहायक होती है। अपने आय का 5 या 10% भाग परमार्थ में आवश्यक लगते चलना चाहिए। परमार्थ को टालने वाले के हाथ में केवल पछतावा ही आता है। 👉एक चलते फिरते तीर्थ थे ...

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