प्रभु सर्वव्यापी हैं, किंतु जब मनुष्य रूप में अवतार लेते है,तब जन्मभूमि भी तीर्थ बन जाती है। इसीलिए गोस्वामी तुलसीदास कहते हैं-अवधपुरी सम प्रिय नहिं सोऊ। यह प्रसंग जानइ कोउ कोऊ।। यह सभी के लिए सन्तोष का विषय है कि जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ। श्रीराम जन्मभूमि ...
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