आज जब मैं प्रपंच चबूतरे पर पहुंचा, तब चतुरी चाचा के साथ ककुवा व बड़के दद्दा राम मंदिर पर चर्चा कर रहे थे। वहीं, पच्छेहार से आए मुंशीजी व कासिम चचा हाथ-पैर धो रहे थे। सबके चेहरे पर मॉस्क लगे थे। ककुवा भी अपना मुंह गमछे से बांधे हुए थे। ...
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