रिश्तों की अहमियत मात-पिता के रिश्ते की जो ना जाने कद्र वो कुलांगार है, सच्चा रिश्ता वो होता है जो रिश्तों की माला करता कण्ठागार है। रिश्तों को रखें उलझाए हर पल जो वो रिश्तों का कसूरवार है, कभी हद से बढ़ जाती उलझन रिश्तों में तो लगता कारागार है। ...
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