क्या वजह है कि जियो और जीने दो का उसूल हमें आज भी नहीं भाता यह खोट है नजर का कि दूसरों का सुखचैन हमसे देखा नहीं जाता। इंसानियत के कमजोर होने पर यह लाइनें पड़ी मौजूद सी लगती हैं। जाति के आधार पर इंसान का इंसान में फर्क करना, ...
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