जीवन निज जीवन में मैंने कई खेल देखें हैं कुछ सच्चे तो कुछ झूठे देखें हैं हर सपना बेरंग हो चला था कई पल बीत चुके देखें हैं निज जीवन… गीतों में अपने गूंथता था अपने हंसी-रुदन का हार पल-पल को संजोता था बना के अपने भविष्य का संसार भविष्य ...
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