तलाश पेड़ों की झुरमुटों से सूरज झांकता है, मानो अपने होने का निशान ताकता है। चारो तरफ बस बेचारगी समाई है, जाने किसने चमक वतन की चुराई है। कहने को तो हर गली मोहल्ला अपना है, पर आज इसे देख पाना भी एक सपना है। जाने कहाँ गुमशुदा आज पहचान ...
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