आज चतुरी चाचा अपने प्रपंच चबूतरे पर मुंशीजी व कासिम चचा के संग बड़ी गम्भीर मुद्रा में बैठे थे। मेरे पहुँचने पर भी तीनों गुमसुम ही बने रहे। हमने इसका कारण पूछा तो चतुरी चाचा बोले- आखिर ई देस ते हैवानियत कब खतम होई? चोरी, लूट, हत्या अउ डकैती ते ...
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