आज चतुरी चाचा अपने प्रपंच चबूतरे पर मुंशीजी व कासिम चचा के संग बड़ी गम्भीर मुद्रा में बैठे थे। मेरे पहुँचने पर भी तीनों गुमसुम ही बने रहे। हमने इसका कारण पूछा तो चतुरी चाचा बोले- आखिर ई देस ते हैवानियत कब खतम होई? चोरी, लूट, हत्या अउ डकैती ते हमका ज्यादा चिंता नाय होत हय। मुला, बिटिया-बहिनन ते छेड़खानी अउ बलात्कार केरी घटनाएं हमका बेचैन कय देती हयँ। बिन पूँछ वाले इंसानी-जानवरन केरी आबादी बढ़तय जाय रही। नर-पशुवन केरे आगे हमका तौ सरकार, पुलिस प्रशासन अउ अदालत सब बौनी लागति हय। ई नर पिशाचन ते न चारि बरस केरी बच्ची सुरक्षित हय औ न चौहत्तर साल केरी बुढ़िया।
चतुरी चाचा देश में आये दिन बेटियों के साथ हो रही छेड़छाड़ और बलात्कार की घटनाओं से काफी दुःखी थे। वह धाराप्रवाह बोलते रहे हम तीनों गाँधी जी के बंदर बने सब सुनते रहे। इसी बीच ककुवा व बड़के दद्दा भी पधार गए। ककुवा बोले- चतुरी भइय्या, टीवी पय तौ खाली हाथरस वाला मामला चलि रहा। का औरव कहूँ बलात्कार केरी घटनाएं भई हयँ? मुंशीजी ने कहा-ककुवा, भारत के अलग-अलग हिस्से में छेड़छाड़ और बलात्कार की घटनाएं प्रतिदिन होती हैं। बस, कोई-कोई घटना टीवी-अखबार में सुर्खी बटोर लेती है। कुछ जगह जमकर राजनीति भी होती है। बाकी सारी घटनाएं समय के गर्त में समा जाती हैं। इधर, यूपी के हाथरस का मामला बहुत गर्म है। हालांकि, बलात्कार की घटनाएं राजस्थान व मध्यप्रदेश सहित यूपी के आजमगढ़ व बलरामपुर में भी हुई हैं।लेकिन, सारी राजनीति और न्यूज चैनलों का फ़ोकस हाथरस पर है।
चतुरी चाचा ने कहा-जिस देश, समाज व परिवार में नारी का सम्मान नहीं होता है, वह विनाश की ओर चला जाता है। चाहे गांव हो या शहर हर जगह महिला को सुरक्षा एवं सम्मान मिलना चाहिए। बिडम्बना देखिए कि नारी प्रसव पीड़ा सहकर पुरुष को जन्म देती है। उसे पालती-पोषती है। वही पुरुष बाद में नारी का दुश्मन बन जाता है। नारी कभी लिंगभेद का शिकार होती है। कभी दहेज की भेंट चढ़ती है। कभी घरेलू हिंसा तो कभी छेड़छाड़ व बलात्कार की शिकार हो जाती है। यह बुरी स्थिति बदलनी चाहिए।
इस पर ककुवा बोले-लोग बिटिया-बेटवा केरे पालय मा अउ पढ़ाव-लिखाव मा अंतर करत हयँ। बहुत जने लरिकन का बड़े स्कूल मा पढ़ावत हयँ। मुला, अपने लरिकन का अच्छे संस्कार नाय देत। लरिकन केरी हरकतन पय परदा डारत रहत हयँ। बादि मा वहे लरिका बदमाश बनि जात हयँ। उई महतारी-बाप ते उपर होय जात हयँ। हमरे कहय केर मतलब यूह हय कि लरिकन का नीक शिक्षा अउ संस्कार दीन जाय। उनका बचपन ते बहिनन-बिटियन केरी इज्जत करब सिखावा जाय। लरिकन का जवान होतय खन रोजगारु दीन जाय। तबहीं उई सब खुराफात ते दुरि रँहिय।
इसी दौरान चंदू बिटिया गुनगुना नींबू पानी, तुलसी-अदरक की कड़क चाय लेकर आ गई। चाय के साथ बतकही आगे बढ़ी। कासिम चचा ने विषय बदलते हुए कहा- प्रधानमंत्री मोदी ने कल मनाली में अटल-टनल का उद्घाटन किया था। इस कार्यक्रम में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह भी थे। इसकी नींव लोकप्रिय प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने रखी थी। बीस साल में करीब चार हजार करोड़ की लागत से 9 किमी लम्बी सुरंग बनी है। अब लेह-लद्दाख तक पूरे साल आवागमन होगा। इससे भारतीय फौज को सबसे बड़ा लाभ मिलेगा।
हमने कहा-कासिम चचा, आप बिल्कुल सही कह रहे हैं। मैं वर्ष 1998 में अपने मित्र शहज़ाद अहमद व दिलीप गुप्ता के साथ शिमला से श्रीनगर वाया लेह-लद्दाख गया था। तब मैंने रोहतांग दर्रा पार किया था। मैंने केलांग में प्रवास के दौरान लाहौल स्पीति व उदयपुर का भी भ्रमण किया था। तब मुझे स्थानीय लोगों ने बताया था कि उनका पूरा इलाका 6-7 महीने देश से कटा रहता है। रोहतांग दर्रे पर भारी बर्फबारी होती है। देश के अन्य हिस्सों में काम करने वाले उनके परिजन कई महीने अपने घर नहीं आ पाते हैं। पिछले कुछ दशकों में पैदल ही दर्रा पार करने की कोशिश में दर्जनों लोग बेमौत मारे गए हैं।
इसके पहले मैंने वर्ष 1996 में मनाली प्रवास के दौरान रोहतांग दर्रे पर एक दिन बिताया था। जबकि वर्ष 2018 में श्रीनगर से द्रास सेक्टर गया था। मैं अपनी इन तीन यात्राओं के अनुभव से कह सकता हूँ कि रोहतांग दर्रे पर बनी यह अटल-सुरंग सिर्फ लाहौल स्पीति, उदयपुर व केलांग को ही नहीं, बल्कि लेह-लद्दाख, कारगिल व द्रास के लोगों के लिए वरदान है। इस टनल के बनने से भारतीय सेना बहुत शक्तिशाली हो गयी है। अब मोदी सरकार को जोजिला दर्रे पर भी एक सुरंग बनवानी चाहिए। इससे द्रास से श्रीनगर तक जाने वाले मार्ग भी साल भर खुला रहेगा। इससे चीन व पाकिस्तान के सामने तैनात हमारी सेना को बड़ा लाभ मिलेगा। सेना को हर जरूरी सामग्री पूरे वर्ष दोनों तरफ से आपूर्ति की जा सकेगी।
काफी देर से सबकी बातें सुन रहे बड़के दद्दा ने कहा- लोग अब कोरोना को तो भूल ही गए। जबकि कोरोना का संक्रमण और मौत का सिलसिला जारी है। अबतक 64 लाख से ज्यादा लोग कोरोना से पीड़ित हो चुके हैं। देश में एक लाख से अधिक लोग कोरोना की बलि चढ़ चुके हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प को भी कोरोना हो गया है। सारा कामकाज ठप है। अर्थ व्यवस्था डांवाडोल है। परंतु, मीडिया पहले सबको बॉलीवुड हीरो सुशांत सिंह राजपूत की मौत व ड्रग्स प्रकरण में उलझाए रही। अब बिहार चुनाव व हाथरस-कांड परोस रही है। इन्हीं मुद्दे पर राजनीतिक दल अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं। कल कांग्रेस के राहुल गांधी, प्रियंका वाड्रा व कांग्रेसी नेता हाथरस गए थे। इसी के साथ आज की पंचायत समाप्त हो गयी। अगले रविवार को चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे पर फिर प्रपंच होगा। मैं वह बतकही लेकर आपके मध्य हाजिर रहूँगा। तब तक के लिए पँचव राम-राम!
नागेन्द्र बहादुर सिंह चौहान