साल 2015 की बात है, तब मैं छोटे-छोटे बच्चों को ट्यूशन पढ़ाता था. इसी बीच मैं खांसी-बुखार से पीड़ित हो गया. जांच के बाद पता चला कि मुझे टीबी हो गया है. यह जानकारी फैलते ही सभी बच्चे मुझसे ट्यूशन पढ़ना छोड़ दिये. मेरे पिताजी कपड़े की दुकान चलाते थे. ...
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माहवारी पर संकुचित सोच से आज़ाद नहीं हुआ ग्रामीण समाज
हम भले ही आधुनिक समाज की बात करते हैं, नई नई तकनीकों के आविष्कार की बातें करते हैं, लेकिन एक कड़वी सच्चाई यह भी है कि महिलाओं के प्रति आज भी समाज का नजरिया बहुत ही संकुचित है. बराबरी का अधिकार देने की बात तो दूर, उसे अपनी आवाज उठाने ...
Read More »06 दिसम्बर, पुण्यतिथि विशेष: यदि आज आंबेडकर होते तो उनका नजरिया क्या होता?
आज बाबा साहेब डा भीम राव आम्बेडकर हमारे बीच नहीं हैं। अगर वे आज अचानक हमारे बीच आकर देख पाएं तो हम उनकी आत्मा को बेहद कष्ट में ही पाएंगे। वे माथा ठोक लेंगे कि इस देश में आखिर चल क्या रहा है? हम सभी जानते हैं कि हममें से ...
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