भारतीय दर्शन में जीवन का चौथा चरण संन्यास आश्रम होता है। लेकिन आध्यात्मिक प्रेरणा से किसी भी अवस्था में संन्यास ग्रहण किया जा सकता है। इस परम्परा में बालक, युवा और वृद्ध सभी लोग सम्मिलित है। हमारी परंपरा में इस प्रकार के संन्यास जीवन पर अमल करने वाले अनगिनत उदाहरण ...
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