स्पाइन में दर्द प्रारम्भ होने पर आदमी को सावधानी के तौर पर पहले दो दिन आराम करना चाहिए. हीट व कोल्ड थेरेपी के साथ दवा, लोशन, स्प्रे दर्द की स्थान लगाने से आराम मिलता है. इसके बाद भी न्यूरो व ऑर्थो स्पेशलिस्ट से सलाह जरूर लेनी चाहिए.
ऐसे पहचानें स्लिपडिस्क के लक्षण
गर्दन और कमर में दर्द समय के साथ बढ़ना, हाथ व पैर में कमजोरी, पेशाब और मल त्याग पर नियंत्रण समाप्त होना, हाथ पैर में सूनापन और झनझनाहट होना, चलने में कठिनाई होना व कंपन होता है.
सर्जरी से पहले बीमारी की गंभीरता जानें
स्लिपडिस्क की समस्या व उसकी गंभीरता को जानने के लिए एमआरआई व सीटी स्कैन जाँच कराई जाती है. इस जाँच की मदद से डॉक्टर ये पता करते हैं कि स्पाइन के किस हिस्से में कठिनाई हुई है जिसके आधार पर उपचार के लिए आगे की रणनीति बनाई जाती है.
सर्जरी में नहीं रिस्क
एक्सपर्ट के अुनसार असहनीय दर्द से आराम के लिए ऑपरेशन अच्छा है, हालांकि इसको लेकर लोगों में गलत धारणा है कि रीढ़ की हड्डी के ऑपरेशन से लकवा हो जाता है. ऐसा कुछ भी नहीं है. सच ये है कि ऑपरेशन के बाद वर्षो से हो रहे दर्द में 80 से 90 प्रतिशत आराम मिल जाता है व बीमारी आगे नहीं बढ़ती है. फिजियोथेरेपी तभी तक अच्छा है जब तक स्पाइनल कॉर्ड और नसों पर दबाव कम होता है. दर्द से राहत के लिए डॉक्टरी सलाह के बाद ही एक्पर्ट से फिजियोथेरेपी करानी चाहिए.