गुरूवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने उद्धव सरकार को कटघरे मे खड़ा किया. ये जनहित याचाकि वाडिया हॉस्पिटल को वक्त पर पैसा ना उपलब्ध कराने और उससे मरीजों को हो रही परेशानी को लोकर की गई थी. कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाने हुए कहा कि सरकार के पास अंबेडकर की मूर्ति बनाने के लिए पैसे हैं लेकिन अंबेडकर जिनकी बातें करते थे उनके लिए पैसे नहीं हैं.
आपको बता दें कि मुंबई के वाडिया हॉस्पिटल का स्टाफ अब सड़कों पर उतरकर आंदोलन करने के लिए मजबूर हो गया है. दरअसल, अस्पताल को महाराष्ट्र सरकार और BMC की तरफ से ग्रांट के पैसे दिए जाते थे जो काफी समय से नहीं दिया गया. हॉस्पिटल प्रशासन का कहना है कि आज की तारीख में हॉस्पिटल को सुचारू रूप से चलाने के लिए उसे कम से कम 110 करोड़ रुपए BMC से ग्रांट के तौर पर मिलने चाहिए जो कि नहीं मिल रहे हैं. नतीजा यह है कि आज हॉस्पिटल में ना तो दवाइयां हैं और ना ही जरूरी उपकरण.
हॉस्पिटल प्रशासन का कहना था कि आज की तारीख में हॉस्पिटल को सुचारू रूप से चलाने के लिए उसे कम से कम 110 करोड़ रुपये BMC से ग्रांट के तौर पर मिलने चाहिए जो कि नहीं मिल रहे. नतीजा ये है कि हॉस्पिटल में ना तो दवाइयां हैं और न ही जरूरी उपकरण. यहां तक कि इस महीने कर्मचारियों को तनख्वाह भी नहीं दी गई है. मजबूरन अस्पताल प्रशासन नए बच्चों को एडमिट करना बंद कर दिया है. जिनमें से कई के माता-पिता तो महाराष्ट्र के दूसरे हिस्सों से आते हैं.
इसी बात को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट में एक जनहिचत याचिका दायर की गई थी. कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि सरकार के पास आंबेडकर की मूर्ति बनाने के पैसे हैं लेकिन गरीबों और मिडिल क्लास लोगों के पर खर्च करने के लिए नहीं. आपको बता दें कि राज्य कैबिनेट ने आंबेडकर मेमोरियल प्रॉजेक्ट के लिए बजट ₹300 करोड़ से ₹1070 करोड़ कर दिया गया.
इतना ही नहीं दादर के इंदु मिल्स परिसर में आंबेडकर की मूर्ति की ऊंचाई भी 100 फीट से बढ़ाकर 350 फीट करने का फैसला किया गया है. इस पर कोर्ट ने कहा कि मूर्ति के लिए पैसे हैं, लेकिन वे लोग जिनकी बात आंबेडकर करते थे, वे मर सकते हैं. उन्हें मेडिकल सुविधाएं चाहिए या मूर्ति ?