लखनऊ। दिल्ली में होने वाली भारत बचाओ रैली के जरिये कांग्रेस वरिष्ठ नेताओं की भीड़ जुटाऊ ताकत भी परख रही है। वरिष्ठ नेताओं को मैदान में उतारते हुए उनकी जिम्मेदारी भी तय की गई है। रैली की कामयाबी से मिशन- 2022 का एक्शन प्लान भी तय होगा।
करो या मरो अंदाज से दिल्ली रैली की तैयारी में जुटी महासचिव प्रियंका गांधी किसी भी नए अथवा पुराने नेता को छूट देने के मूड में नहीं है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू द्वारा जिलों के ताबड़तोड़ दौरे किए जा रहे हैं। वहीं प्रमोद तिवारी, जितिन प्रसाद, सलमान खुर्शीद, डॉ. निर्मल खत्री, श्रीप्रकाश जासवाल, राजीव शुक्ला, प्रदीप जैन आदित्य, आरपीएन सिंह, पीएल पुनिया, जफर अली नकवी, सलीम शेरवानी, प्रवीण सिंह ऐरन, राजेश पति त्रिपाठी, अनुग्रह नारायण सिंह, दीपक सिंह, अखिलेश प्रताप सिंह, सर्वराज सिंह, नदीम जावेद व इमरान मसूद जैसे वरिष्ठ नेताओं से अपने क्षेत्रों में भी सक्रिय रहने को कहा गया है। मीडिया इंचार्ज राजीव त्यागी का कहना है कि 14 दिसंबर की दिल्ली रैली से देश में राजनीतिक बदलाव की शुरूआत होगी और इसमें उत्तर प्रदेश की भूमिका अहम होगी।
रैली के बहाने कांग्रेस हाईकमान संगठन में वरिष्ठ नेताओं के एक गुट में अपेक्षा के कारण बने असंतोष की हवा भी निकालना चाहता है। रैली में भीड़ जुटाने की सीधे जिम्मेदारी सौंप कर हाईकमान पुरानों का दमखम भी आंकना चाहता है। सूत्रों का कहना है कि रैली में भीड़ जुटाने की निजी एजेंसी से जांच भी करायी जाएगी ताकि फर्जी दावे करने वालों की सच्चाई सामने आ सके।
रैली में सभी क्षेत्रों व वर्गों का प्रतिनिधित्व अधिक से अधिक करने के लिए जिलेवार लक्ष्य तय किए गए है। घर बैठे नेताओं से भी रैली में भागीदारी बढ़ाने के लिए कहा गया है।
दिल्ली के निकट होने के कारण पश्चिम के जिलों पर अधिक फोकस किया है। वरिष्ठ नेता वीरेंद्र मदान का कहना है कि 12 व 13 दिसंबर को पश्चिमी उप्र के जिलों में बैठकों का सिलसिला तेज होगा। पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी 11 दिसंबर को मेरठ पहुंचेंगे और कोषाध्यक्ष नईम सिद्दीकी भी मंगलवार से गाजियाबाद में बैठकें लेंगे।