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1971 के बाद 12 हजार शरणार्थियों को जमीन देने का फैसला

महाराष्ट्र में चल रही राजनीतिक लड़ाई के बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी केंद्र से लड़ाई तेज करने की योजना में जुट गई हैं. ममता ने 1971 के बाद राज्य में रह रहे 12 हजार शरणार्थी परिवारों को जमीन का अधिकार देने का फैसला लिया. माना जा रहा है कि इस फैसले के बाद अब एनआरसी को लेकर लड़ाई तेज हो जाएगी.

तृणमूल कांग्रेस पार्टी नेता और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा कि हमने पूरी तरह से सभी भूमि (शरणार्थी बस्तियों) को नियमित करने का फैसला किया है, क्योंकि यह अब एक लंबा समय हो गया है. 1971 (मार्च) के बाद से इन लोगों को घर या जमीन के बगैर लटाकाए रखा गया. मेरा मानना है कि शरणार्थियों के भी अपने अधिकार होते हैं. राज्य सरकार पहले ही उन 94 रिफ्यूजी कॉलोनियों को रेग्युलराइज कर चुकी है जो राज्य की जमीन पर बनी हुई है.

निजी जमीन और केंद्र सरकार की जमीन पर बनी शरणार्थी बस्तियों को रेग्युलराइज कराने के प्रयास किए जाएंगे. ममता का कहना है कि विस्थापित लोगों को भी जमीन का अधिकार होना चाहिए.

ममता बनर्जी का यह बयान उस समय आया है जब केंद्र की ओर नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (NRC) को पूरे देश में लागू कराए जाने की बात कही जा रही है. ममता बनर्जी एनआरसी को लेकर लगातार बयान दे रही हैं और उनका कहना है कि इसे अपने राज्य में लागू नहीं होने देंगी.

अवैध अप्रवासियों को बचा रही TMC: BJP

हालांकि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेताओं का आरोप है कि राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) बांग्लादेश से आए अवैध अप्रवासियों को बचाने की कोशिश कर रही है क्योंकि ये लोग पार्टी के मुख्य वोट बैंक हैं. राज्य के बीजेपी नेताओं का कहना है एनआरसी पूरे राज्य में लागू होना चाहिए.

कैबिनेट बैठक के बाद ममता बनर्जी ने कहा कि राज्य सरकार ने पहले ही राज्य की जमीन पर बने 94 शरणार्थी बस्तियों को रेग्युलराइज कराने का फैसला कर लिया है. लेकिन अभी भी कई शरणार्थी बस्तियां ऐसी हैं जो केंद्र सरकार और निजी पार्टियों के अधीन हैं और उन्हें रेग्युलराइज कराए जाना चाहिए.

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