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भारत में दूध उत्पादन को बढ़ाने वाले श्वेत क्रांति के जनक डॉ. वर्गीज का आज जन्मदिन

भारत में श्वेत क्रांति के जनक डॉ. वर्गीज कुरियन का आज जन्मदिन है. उन्होंने दूध की कमी से जूझने वाले देश को दुनिया का सबसे ज्यादा दूध उत्पादन करने वाला देश बनाने में अहम भूमिका निभाई थी. उनका जन्म केरल के कोझिकोड में 26 नवंबर 1921 को हुआ था. भारत में उनके जन्मदिन को नेशनल मिल्क डे के रूप में मनाया जाता है और इसकी शुरुआत साल 2014 में की गई थी.

उन्हें भारत के ‘ऑपरेशन फ्लड’ (श्वेत क्रांति) का जनक कहा जाता है. उनका 9 सितंबर 2012 को निधन हो गया. कुरियन की अगुवाई में चले ‘ऑपरेशन फ्लड’ के बलबूते ही भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बना. बता दें कि भारत का ऑपरेशन फ्लड दुनिया का सबसे बड़ा डेयरी डवलमेंट प्रोग्राम था, जिसे भारत में दूध उत्पादन को बढ़ावा मिला.

अगर जमीनी स्तर पर देखें तो कुरियन की ये उपलब्धि दूध का उत्पादन बढ़ाने से कहीं ज्यादा है. कुरियन ने चेन्नई के लोयला कॉलेज से 1940 में विज्ञान में स्नातक किया और चेन्नई के ही जीसी इंजीनियरिंग कॉलेज से इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की.

कैसे हुई अमूल की शुरुआत

वर्गीज कुरियन ने ही अमूल की स्थापना की थी. उनका सपना था – देश को दूध उत्पादन में आत्मनिर्भर करने के साथ ही किसानों की दशा सुधारना. उनका पेशेवर जीवन सहकारिता के माध्यम से भारतीय किसानों को सशक्त बनाने पर समर्पित था. उन्होंने 1949 में कैरा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ लिमिटेड (KDCMPUL) के अध्यक्ष त्रिभुवन दास पटेल के अनुरोध पर डेयरी का काम संभाला. सरदार वल्लभभाई पटेल की पहल पर इस डेयरी की स्थापना की गई थी.

वर्गीज कुरियन के नेतृत्व में को-ऑपरेटिव की दिन दूना, रात चौगुनी प्रगति होने लगी. गांव-गांव में KDCMPUL की को-ऑपरेटिव सोसाइटियां बनने लगीं. इतना दूध इकट्ठा होने लगा कि उनकी आपूर्ति मुश्किल होने लगी. इस समस्या को हल करने के लिए मिल्क प्रॉसेसिंग प्लांट लगाने का फैसला हुआ ताकि दूध को संरक्षित किया जा सके. देखते-देखते आणंद के पड़ोसी जिलों में भी को-ऑपरेटिव का प्रसार होने लगा.

ऐसे मिला अमूल नाम

डॉक्टर कुरियन KDCMPUL को कोई सरल और आसान उच्चारण वाला नाम देना चाहते थे. कर्मचारियों ने अमूल्य नाम सुझाया, जिसका मतलब अनमोल होता है. बाद में अमूल नाम चुना गया.

भैंस के दूध से पहली बार बनाया पाउडर

भैंस के दूध से पाउडर का निर्माण करने वाले कुरियन दुनिया के पहले व्यक्ति थे. इससे पहले गाय के दूध से पाउडर का निर्माण किया जाता था. उस वक्त भैंस के दूध का पाउडर बनाने की तकनीक नहीं थी. इस दिशा में काम होने लगा. 1955 में दुनिया में पहली बार भैंस के दूध का पाउडर बनाने की तकनीक विकसित हुई. कैरा डेयरी में अक्टूबर 1955 में यह प्लांट लगाया गया. यह अमूल की बहुत बड़ी सफलता थी.

कब शुरु हुआ ऑपरेशन फ्लड

ऑपरेशन फ्लड कार्यक्रम 1970 में शुरू हुआ था. ऑपरेशन फ्लड ने डेयरी उद्योग से जुड़े किसानों को उनके विकास को स्वयं दिशा देने में सहायता दी, उनके संसाधनों का कंट्रोल उनके हाथों में दिया. राष्ट्रीय दुग्ध ग्रिड देश के दूध उत्पादकों को 700 से अधिक शहरों और नगरों के उपभोक्ताओं से जोड़ता है.

अमूल की सफलता से अभिभूत होकर तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने अमूल मॉडल को अन्य स्थानों पर फैलाने के लिए राष्ट्रीय दुग्ध विकास बोर्ड (एनडीडीबी) का गठन किया और डॉक्टर कुरियन को बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया. एनडीडीबी के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने भारत को दुनिया में सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश बनाने के लिए ‘ऑपरेशन फ्लड’ की अगुवाई की और अमूल को घर-घर में लोकप्रिय बनाया. वे 1973 से 2006 तक गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड के प्रमुख और 1979 से 2006 तक इंस्टीट्‍यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट के अध्यक्ष रहे.

दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक बना भारत

एनडीडीबी ने 1970 में ‘ऑपरेशन फ्लड’ की शुरूआत की जिससे भारत दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश बन गया. कुरियन ने 1965 से 1998 तक 33 साल एनडीडीबी के अध्यक्ष के तौर पर सेवाएं दीं. साठ के दशक में भारत में दूध की खपत जहां दो करोड़ टन थी वहीं 2017-18 में यह 17.6 करोड़ टन पहुंच गई.

खुद दूध नहीं पीते थे!

कुरियन के निजी जीवन से जुड़ी एक रोचक और दिलचस्प बात यह है कि देश में ‘श्वेत क्रांति’ लाने वाला और ‘मिल्कमैन ऑफ इंडिया’ के नाम से मशहूर यह शख्स खुद दूध नहीं पीता था. वह कहते थे, ‘मैं दूध नहीं पीता क्योंकि मुझे यह अच्छा नहीं लगता.’ भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया था. उन्हें सामुदायिक नेतृत्व के लिए रेमन मैग्सेसे पुरस्कार, कार्नेगी वाटलर विश्व शांति पुरस्कार और अमेरिका के इंटरनेशनल पर्सन ऑफ द ईयर सम्मान से भी नवाजा गया.

अमूल से जुड़े हैं 1.6 करोड़ से ज्यादा दूध उत्पादक

आज देशभर में 1.6 करोड़ से ज्यादा दूध उत्पादक अमूल से जुड़े हुए हैं. ये दूध उत्पादक देशभर में 1,85,903 डेयरी को-ऑपरेटिव सोसाइटियों के जरिए अमूल तक अपना दूध पहुंचाते हैं. 218 डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव यूनियनों में दूध की प्रॉसेसिंग होती है. अमूल की 28 स्टेट मार्केटिंग फेडरेशन करोड़ों लोगों तक उसका दूध पहुंचाती हैं.

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