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विदेशी एजेंसियों के लिए जासूसी के आरोप में भारतीय सेना का पूर्व अधिकारी गिरफ्तार, IB कर रही है पूछताछ

देश के खुफिया तंत्र, भारतीय सेना और दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के कब्जे में एक संदिग्ध शख्स है. भारतीय एजेंसियों को संदेह है कि आरोपी विदेशी एजेंसियों के लिए लंबे समय से जासूसी कर रहा था. हिरासत में लिए गए आरोपी का नाम गुप्त रखा गया है. बताया जा रहा है कि हिरासत में मौजूद शख्स भारतीय सेना का पूर्व अधिकारी है. उसके बारे में पता चला है कि वह लंबे समय से कनाडा में रह रहा था.

इस संदिग्ध जासूस के हिरासत में होने की पुष्टि शनिवार को दिल्ली कैंट थाने के एसएचओ इंस्पेक्टर समीर श्रीवास्तव ने आईएएनएस से की है. इंस्पेक्टर समीर श्रीवास्तव ने आईएएनएस से कहा, “अभी इस पर काफी कुछ खुलकर कहना मुश्किल है. सब लोग (कई एजेंसियां) मिलकर पूछताछ कर रहे हैं. कुछ ठोस निकल कर अभी तक सामने नहीं आया है.”

एसएचओ दिल्ली कैंट के इस कथन से इस बात की पुष्टि होती है कि संदिग्ध आरोपी दिल्ली कैंट थाने में जांच और खुफिया एजेंसियों के सवालों का सामना शुक्रवार से ही कर रहा है.

हालांकि, मामला हाईप्रोफाइल और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की जासूसी का है इसलिए, दिल्ली पुलिस के संयुक्त आयुक्त (नई दिल्ली रेंज) आनंद मोहन से लेकर दक्षिण-पश्चिम जिला पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) देवेंद्र आर्या तक सब चुप्पी साधे हुए हैं. इन दोनों संबंधित आला पुलिस अफसरों से आईएएनएस ने संपर्क की कोशिश की, मगर उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला.

उधर दिल्ली पुलिस के ही उच्च पदस्थ एक सूत्र ने आईएएनएस से कहा, “दरअसल हिरासत में लिया गया शख्स बेहद तेज-तर्रार दिमाग वाला है. उसे शुक्रवार को हिरासत में लिया गया. हिरासत में लेते ही दिल्ली पुलिस (कैंट थाना पुलिस) के हवाले कर दिया गया. दिल्ली पुलिस को जब संदिग्ध का प्रोफाइल पता चला तो, उसने बेहद गुपचुप तरीके से पूरा मामला भारतीय खुफिया एजेंसी और भारतीय सेना के संज्ञान में भी ला दिया.”

सूत्रों के मुताबिक, ‘हिरासत में लिया गया संदिग्ध भारतीय सेना का पूर्व अधिकारी है. वह लंबे समय से कनाडा में रह रहा था. सूत्रों के मुताबिक, हिरासत में मौजूद शख्स के संदिग्ध जासूस होने की बात पता चलते ही भारतीय सेना, दिल्ली पुलिस और खुफिया एजेंसियों ने संयुक्त रुप से जांच की योजना बनाई. ताकि कहीं किसी बिंदु पर कोई चूक न हो.”

संदिग्ध की गिरफ्तारी को लेकर भले ही दिल्ली पुलिस कुछ न बोलकर खुद को बचा रही हो, मगर यह तय है कि इतने लंबे समय तक किसी शख्स को फिजूल में ही भला थाने में हिरासत में क्यों रखा जायेगा? मतलब कहीं न कहीं दाल में कुछ काला जरूर है. बस तथ्यों की पुष्टि किया जाना जरूरी और बाकी है. आरोपी भी सेना का पूर्व मंझा हुआ अधिकारी है. इसी वजह से उससे हर तथ्य उगलवाने में भी वक्त लगना तय है.

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