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सर पर आई छमाही परीक्षा, अभी तक हांथ में नही है किताब

यूपी बोर्ड के स्कूलों के बच्चों को अभी तक नही मिल पाई किताबे

जायें तो जायें कहां दुकानों में भी नही हैं किताबे

जिले में हैं यूपी बोर्ड के सहायता प्राप्त 46, राजकीय 41 व 332 विद्यालय हैं वित्त विहीन

रायबरेली। यूपी बोर्ड के स्कूलों में अगले महीने छमाही परीक्षा होने का प्रस्ताव है लेकिन अभी तक बमुश्किल 20 से 30 प्रतिशत बच्चों के पास सभी एनसीआरटी की किताबें मौजूद हैं।

सरकार भले ही बड़े-बड़े दावे करे लेकिन हकीकत कुछ और ही है। जिले में यूपी बोर्ड के सहायता प्राप्त 46, राजकीय 41 व 332 वित्त विहीन विद्यालय हैं। जिनमें लाखों की संख्या में छात्र अध्ययन कर रहे हैं। जिनकी किताबों की बात की जाय तो अभी तक बमुश्किल 20 से 30 प्रतिशत बच्चों के हांथ में ही किताबें मिल सकी हैं। कुछ विषयों की किताबें छोड़ दें तो बाकी मैथ, फिजिक्स ,केमेस्ट्री , बायो में छात्रो को एनसीआरटी की पुस्तकें बच्चों को नाम मात्र ही मिल सकी हैं।बाकी अन्य प्रकाशनों की किताबें बहुत महंगी हैं जो बच्चों के बजट से बाहर हैं।

इस सम्बंध में जिले में पड़ताल की गई तो पता चला जिले में अभी भी 60 प्रतिशत बच्चों के पास किताबें नही हैं। अब बिना किताबों के बच्चे कैसे पढ़ पाएंगे। सर पर छमाही परीक्षा आ गई है। सितम्बर माह से इन परीक्षाओं को शुरु करने का प्रस्ताव है। पर बाजार में किताबे न होने से बच्चों की पढ़ाई नही हो पा रही है बच्चे व स्कूल के अध्यापक परेशान हैं। यही आलम रहा तो शिक्षा का स्तर कैसे बेहतर हो पायेगा क्या बच्चे बिना किताब ही पढ़ाई करेंगे। यह सब यक्ष प्रश्न हैं। जो सभी के मन में गूंज रहे हैं।

क्या बोले विद्यालयों के जिम्मेदार

रायबरेली। किताबों की समस्या के सम्बंध में राजकीय इन्टर कालेज के प्रधानाचार्य रत्नेश श्रीवास्तव ने बताया की विद्यालय में करीब 60 प्रतिशत बच्चों के पास किताबें हैं। अब मार्केट में किताबे नही मिल पा रही हैं। जो हैं उसी से काम चलाया जा रहा है।

डलमऊ कस्बे के न्यू आदर्श शिक्षा निकेतन इन्टर कालेज के प्रधानाचार्य राकेश यादव ने बताया कुछ विषयों की 80 प्रतिशत किताबें बच्चों के पास हैं। जबकी मैथ व साईंस की किताबे 40 प्रतिशत बच्चे ही ले पाए हैं अब बाजार में किताबे नही मिल रही हैं। वहीं डलमऊ विकास क्षेत्र के एक सहायता प्राप्त विद्यालय के प्रधानाचार्य डा. रत्नाकर द्विवेदी ने कहा की अभी तक तो प्रशासन ने 6 से 8 तक के बच्चो की किताबे नही भेजी है।

9 से 12 के बच्चों ने करीब 30 से 40 प्रतिशत बच्चों ने किताबें ले ली है लेकिन अब किताबें नही मिल पा रही हैं। राही के सूरज कुंडा स्थित कर्पूरी ठाकुर हायर सेकेंडरी पब्लिक स्कूल प्रबंधक हरिओम शर्मा ने कहा की 40 प्रतिशत बच्चे ही किताब ले पाए हैं। अब किताबें मार्केट में होने से बच्चे परेशान हो रहे हैं।

रिपोर्ट-दुर्गेश मिश्रा 

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