वाराणसी: काशी में इन दिनों आसमान से आग बरस रही है। इससे पहले भी काशी का तापमान 45 डिग्री सेल्सियस के पार जा चुका है। यह जरूर है कि तब ऐसी स्थिति कभी-कभी ही हुआ करती थी। बीएचयू के डिपार्टमेंट ऑफ जियोफिजिक्स के प्रो. राजीव भाटला के अनुसार, वर्ष 1981 से 2010 के बीच 30 सालों में सिर्फ 20 दिन ऐसे रहे जब तापमान 45 डिग्री सेल्सियस के पार रहा। इस बीच 355 दिन तापमान 40 डिग्री सेल्सियस रहा। 1131 दिन तापमान 35 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा रहा।
जबकि, 3323 दिन तापमान 30 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा रहा। बीएचयू के पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि तापमान में इस तरह की बढ़ोतरी की अहम वजह ग्लोबल वार्मिंग के साथ ही स्थानीय स्तर पर हरियाली व पौधों से दूरी और एसी से निकटता है।
1884 में 47 डिग्री सेल्सियस पार पहुंचा था तापमान
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार वर्ष 1884 में अधिकतम तापमान 47.2 रिकॉर्ड किया गया था। हालांकि गत मंगलवार को यह रिकॉर्ड टूट गया था। गत मंगलवार को 47.6 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया था। वहीं, बाबतपुर स्थित मौसम विज्ञान कार्यालय से बताया गया कि उनके पास मौजूद रिकॉर्ड के अनुसार बृहस्पतिवार को सर्वाधिक तापमान 47.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था।
365 दिन में 97 हजार पेड़ काटे गए
जिले में तापमान में बढ़ोतरी की एक अहम वजह पर्यावरण संरक्षण के प्रति घोर उदासीनता भी है। वन विभाग के अनुसार गत एक वर्ष में निर्माण कार्यों सहित विकास परियोजनाओं के लिए 97 हजार पेड़ काटे गए। परमानंदपुर, शिवपुर की 104 वर्षीय कलावती देवी से बेतहाशा बढ़ रहे तापमान को लेकर शुक्रवार को बात की गई। उन्होंने कहा कि गर्मी पहले भी बेतहाशा पड़ती थी। मगर, पेड़ों की संख्या इतनी अधिक थी कि रात सुकूनदायक होती थी। देखते ही देखते ही शहर का दायरा इतना ज्यादा बढ़ गया, इतने पक्के मकान बन गए और सड़कें इतनी चौड़ी हो गईं कि पेड़ कहीं नजर ही नहीं आते हैं।