दिल्ली की सर्दी दिमाग की नस फाड़ने ब्रेन स्ट्रोक वाली साबित हो रही है। केवल इतना ही नहीं इसकी वजह से लोग लकवा की भी चपेट में आ रहे हैं। विशेषज्ञों ने ऐसे मरीजों की तादाद को लेकर चिंता जताई है। कड़ाके की इस ठंड में अस्पतालों में ऐसे मरीजों की तादाद में करीब 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी रिकॉर्ड की गई है। चिकित्सकों ने बुजुर्ग मरीजों को एहतियात बरतने की सलाह दी है।
शीतलहर के प्रभाव से दिल्ली के सरकारी अस्पतालों के विभिन्न विभागों में दिमाग की नस फटने और लकवाग्रस्त मरीजों की तादाद इतनी अधिक हो गई है कि आईसीयू में बिस्तर के लिए मरीजों को जूझना पड़ रहा है। खासतौर से उन मरीजों को मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है जिन्हें वेंटिलेटर की जरूरत पड़ रही है। चिकित्सकों की राय यह है कि हार्ट अटैक ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों को शीघ्र उपचार की जरूरत होती है।
एम्स, सफदरजंग, जीबीपंत, आरएमएल, जीटीबी, एलएनजेपी सहित अन्य अस्पतालों में भी लकवा, हृदय रोग और ब्रेन स्ट्रोक के मरीज अधिक आ रहे हैं। चिकित्सकों के मुताबिक इस बीमारी से 50 वर्ष से ज्यादा आयुश्रेणी वाले अधिक पीड़ित होते हैं।
मैक्स साकेत के काडयोलॉजी विभाग के वरिष्ठ निदेशक डॉ. विवेक कुमार के मुताबिक ठंड के दिनों में शरीर का तापमान बनाए रखने के लिए हृदय को अधिक मेहनत करना पड़ता है। इससे हार्ट अटैक का जोखिम भी बढ़ जाता है। खुले में ठंड का सामना करने वालों में यह जोखिम और अधिक बढ़ जाता है।