लखनऊ। उत्तर प्रदेश पंजाबी अकादमी और विद्यांत हिंदू पीजी कॉलेज (UP Punjabi Academy and Vidyanta Hindu PG College) के संयुक्त तत्वावधान में कॉलेज परिसर में ‘पंजाबी संस्कृति और सभ्याचार का राष्ट्रीय महात्व’ (National Importance of Punjabi Culture and Civilisation) विषय पर संगोष्ठी (Seminar) आयोजित की गई। इस कार्यक्रम का उद्देश्य पंजाबी संस्कृति के महत्व और राष्ट्रीय एकता में इसके योगदान को उजागर करना था।
सेमिनार का संचालन प्रो ध्रुव त्रिपाठी ने किया, जबकि स्वागत भाषण उप प्राचार्य प्रो राजीव शुक्ला ने दिया। कार्यक्रम का समन्वय प्रो श्रवण गुप्ता (हिंदी विभाग) और डॉ शालिनी साहनी (संस्कृत विभाग) ने किया। मुख्य वक्ताओं में प्रो. श्रवण गुप्ता, डॉ शालिनी साहनी और डॉ अमित राय (इतिहास विभाग, शिया पीजी कॉलेज, लखनऊ) शामिल थे। अपने भाषण में उन्होंने कहा कि हर संस्कृति में मूल्यवान पहलू होते हैं, जिसमें पंजाबी संस्कृति भी शामिल है, जिससे लोगों को सीखना चाहिए और सकारात्मक गुणों को अपनाना चाहिए।
डॉ अमित राय ने पंजाबी संस्कृति की ऐतिहासिक जड़ों पर प्रकाश डालते हुए इसकी उत्पत्ति हड़प्पा सभ्यता से बताई। उन्होंने पंजाब में भक्ति और सूफी आंदोलनों के गहन प्रभाव पर भी चर्चा की। डॉ शालिनी शाहनी ने पंजाबी संस्कृति के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की, जिसमें इसके व्यंजन, पारंपरिक पोशाक, बॉलीवुड प्रभाव, शादी की रस्में और कृषि पद्धतियाँ शामिल हैं। उन्होंने कनाडा और यूएसए जैसे देशों में पंजाबियों के प्रभुत्व पर भी प्रकाश डाला और लोकप्रिय पंजाबी कहावतें साझा कीं।
प्रो श्रवण गुप्ता ने विशेष रूप से पंजाबी संस्कृति के दो पहलुओं, कड़ी मेहनत और एक स्वतंत्र-भावना वाला रवैया (मस्त मलंग) के बारे में बताया। यूपी पंजाबी अकादमी के निदेशक ओम प्रकाश सिंह ने कहा कि भाषा, संस्कृति और साहित्य राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। धन्यवाद ज्ञापन अनुराग साहू ने दिया। कार्यक्रम में यूपी पंजाबी अकादमी के कार्यक्रम समन्वयक अरविंद नारायण मिश्रा के साथ ही कॉलेज के संकाय सदस्य, छात्र और कर्मचारी शामिल हुए।