Breaking News

भगवान राम की लंका यात्रा का महत्वपूर्ण भाग है नया ‘पांबन ब्रिज’

राम नवमी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्र को समर्पित करेंगे

@दया शंकर चौधरी,‘राष्ट्र सेवा’ (nation service) को मंत्र मानकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने अपनी अद्वितीय नेतृत्व क्षमता, अटूट संकल्प और दूरदर्शी सोच द्वारा भारत की आधारभूत संरचना को नए शिखर पर पहुंचा दिया है। प्रधानमंत्री की कर्मठता, अदम्य इच्छा शक्ति और राष्ट्र निर्माण की भावना ने हर ऐतिहासिक सपने को साकार किया है। उनके नेतृत्व में भारतीय रेल (Indian Railways) भी विकास के आसमान में ऊंची उड़ान भर रही है। आए दिन नए-नए कीर्तिमान स्थापित कर रेलवे समृद्ध भारत के सफर (Journey of Prosperous India) में अपनी समुचित भागीदारी सुनिश्चित कर रही है।

दिल्ली-NCR समेत पूरे उत्तर भारत में बदला मौसम, कश्मीर में कई फ्लाइट्स रद्द

तमिलनाडु के विशाल नीले समंदर पर निर्मित नया ‘पांंबन ब्रिज’ (pamban bridge) भी रेलवे विस्तार और इंजीनियरिंग कौशल की वो तस्वीर है, जिसे देखकर हर भारतवासी को गर्व की अनुभूती होगी। यह भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट रेलवे सी ब्रिज है, जो समुद्र के ऊपर से गुजरते हुए रामेश्वरम द्वीप को तमिलनाडु के मंडपम से जोड़ता है।

यह पुल केवल दो स्थानों को जोड़ने का माध्यम ही नहीं, बल्कि नई तकनीक, आत्मनिर्भर भारत और तेज गति परिवहन का प्रतीक है।

नए पांबन ब्रिज की अनूठी लिफ्ट प्रणाली बड़े जहाजों को भी आसानी से गुजरने की अनुमति देती है। मन्नार की खाड़ी पर स्थित यह पुल यातायात को सुगम बनाने के साथ अपने आप में एक ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व भी रखता है। आधुनिक तकनीक से निर्मित यह पुल भारतीय रेलवे के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है जिससे आने वाले समय में समुद्री मार्गों पर निर्भर पर्यटन और व्यापार को जबरदस्त बढ़ावा मिलेगा।

परिवहन के नए युग की ओर

भारत का पहला समुद्री पुल पांबन ब्रिज का निर्माण 1911 में शुरू हुआ था और 1914 में इसे यातायात के लिए खोल दिया गया था। तब यह भारत का एकमात्र समुद्री पुल था जो सन् 2010 में बान्द्रा-वर्ली समुद्रसेतु के खुलने तक भारत का सबसे लम्बा समुद्री सेतु रहा।

अपनी सेवा समय के दौरान इस ब्रिज ने कई विकट परिस्थितियां देखी और उनका डटकर सामना किया। 1964 में आए एक चक्रवाती तूफान ने इस पुल को बहुत नुकसान पहुंचाया था बावजूद इसके ये समुद्र की लहरों के बीच अडिग खड़ा रहा और लगभग 106 साल तक देशहित में समर्पित रहा।

21वीं सदी और बदलते भारत की परिवहन आवश्यकताओं ने पुराने पांबन ब्रिज के समक्ष कई तरह की नई चुनौतियाँ रख दी थीं। जिसे देखते हुए आधुनिक ट्रेनों और बड़े समुद्री जहाजों की आवश्यकताओं के अनुरूप एक नई संरचना की जरूरत महसूस की गई। इस जरूरत को पूरा करने के लिए 2019 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में इस नए ब्रिज के निर्माण की आधारशिला रखी गई। नवाचार का जूनून और विकास की अभूतपूर्व गति के कारण मात्र 4 साल में समुद्र पर इस अद्भुत निर्माण को पूरा कर लिया गया।

पांबन ब्रिज की विशेषताएँ

2.08 किलोमीटर का ये भव्य संरचना पुराने पांबन ब्रिज से से 3 मीटर अधिक ऊँचा है, ताकि छोटे जहाज सुगमता के साथ इसके नीचे से होकर गुजर सकें। इस पूरे ब्रिज को बनाने में 18.3 मीटर के 99 स्पैन का प्रयोग किया गया है साथ ही ब्रिज के मध्य में 72.5 मीटर का एक वर्टिकल लिफ्ट स्पैन है, जिसे जरूरत पड़ने पर बड़े जहाजों के लिए 17 मीटर तक ऊपर उठाया जा सकता है।

इस ब्रिज में 333 पाइल्स और 101 पाइल कैप्स का इस्तेमाल कर मजबूत आधार के साथ दोहरी रेल लाइनों के लिए डिज़ाइन किया गया है। जिसपर भारी-भरकम मालगाड़ियों के साथ वंदे भारत जैसी तेज गति से चलने वाली अत्याधुनिक सेमी हाई-स्पीड ट्रेनें भी बड़े ही आसानी से गुजर सकती है। साथ ही इसकी सतह को 58 वर्षों तक सुरक्षित रखने के लिए उत्कृष्ट सुरक्षा प्रणाली अपनाई गई है।

इस ब्रिज के निर्माण के दौरान समुद्री तूफानों, तेज़ हवाओं और ज्वार-भाटाओं जैसी परिस्थितियों का भी खास ध्यान रखा गया है। पॉलिसिलोक्सेन पेंट, स्टेनलेस स्टील और फाइबर रिइंफोर्स्ड प्लास्टिक (FRP) के प्रयोग ने समुद्र के खारा पानी के बीच होते हुए भी इसे लंबे समय तक मजबूत और टिकाऊ बनाए रखेगा।

निर्माण की उपलब्धियाँ

यह ब्रिज पुराने पुल की तुलना में अधिक टिकाऊ और अत्याधुनिक तकनीकों से बनाया गया है। इसका सब-स्ट्रक्चर भी तय समय सीमा से पहले ही पूरा कर लिया गया था, जो इसकी मजबूती को सुनिश्चित करता है। सटीक और अद्भुत इंजीनियरिंग के तहत इस पुल के लिए 99 स्पैन को एकल लाइन हेतु निर्मित कर उत्कृष्टता के साथ स्थापित किया गया है। इसकी निर्माण तकनीक और डिज़ाइन इसे केवल दक्षिण भारत में ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण संरचना बनाते हैं।

डिजाइन में तकनीकी का समावेश

इस पुल का डिजाइन जहां इंटरनेशनल कंसल्टेंट TYPSA द्वारा बनाया गया है तो वही IIT चेन्नई व IIT बॉम्बे द्वारा डिजाइन को सत्यापित किया गया है। उच्च ग्रेड सामग्री और स्टेनलेस स्टील के प्रयोग ने इसे एक दृढ़, सुरक्षित और कम रखरखाव वाली संरचना बना दिया है। ब्रिज के केंद्र में 72.5 मीटर का वर्टिकल लिफ्ट स्पैन है, जिसे जहाजों के आकार के हिसाब से ऊपर-नीचे किया जा सकता है।

आस्था और प्रगति का संगम

पांबन ब्रिज का भगवान राम और भगवान शिव के साथ सीधा संबंध है। ये ब्रिज जिस द्वीप रामेश्वरम को मुख्य भूमि से जोड़ता है, उसे हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। यहां स्थित रामेश्वरम मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि जब भगवान श्रीराम लंका पर चढ़ाई करने जा रहे थे, तब उन्होंने इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी और भगवान शिव की पूजा की थी।

पांबन ब्रिज से होकर गुजरने वाला मार्ग भगवान राम की लंका यात्रा का महत्वपूर्ण भाग माना जाता है, जिससे यह धार्मिक रूप से और भी विशेष हो जाता है। रामायण के अनुसार, भगवान राम और उनकी वानर सेना ने लंका जाने के लिए रामसेतु का निर्माण किया था, जो वर्तमान पांबन ब्रिज के पास स्थित है।
ऐसे में नया पांबन ब्रिज श्रद्धालुओं के लिए रामेश्वरम की यात्रा को आसान और सुरक्षित बनाएगा। यह पुल आधुनिक तकनीक से निर्मित है, जिससे श्रद्धालु बिना किसी बाधा के भगवान शिव और भगवान राम से जुड़े स्थलों के दर्शन कर सकते हैं।

एक गौरवशाली उपलब्धि

नया पांबन ब्रिज भारत की नवाचार क्षमता, अद्वितीय इंजीनियरिंग कौशल और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के प्रति सम्मान का एक अद्भुत प्रतीक है। साथ ही भारत की तकनीकी प्रगति, आत्मनिर्भरता और आधुनिकीकरण के प्रति प्रतिबद्धता का भी जीवंत प्रमाण है। यह ब्रिज समुद्र की लहरों के ऊपर दृढ़ संकल्प की तरह खड़ा है, जो दो स्थानों को पाटने के साथ-साथ भारत की बढ़ती वैश्विक उपस्थिति और भविष्य की असीम संभावनाओं को भी दर्शाता है।

6 अप्रैल 2025 को राम नवमी के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसे राष्ट्र को समर्पित करेंगे। जिसके बाद यातायात और परिवहन को सुगम बनाते हुए यह ब्रिज पर्यटन, व्यापार और सांस्कृतिक संवाद को नया आयाम देगा, जिससे भारत की प्रगति और समृद्धि को और अधिक गति मिलेगी।

About reporter

Check Also

हुसैनाबाद ट्रस्ट रोड पर जलभराव: नगर निगम ने 20 से अधिक चबूतरों को तुड़वाकर कराई नाली की सफाई

लखनऊ। नगर निगम जोन-6 (Municipal Corporation Zone-6) के अंतर्गत आने वाले हुसैनाबाद ट्रस्ट रोड (Hussainabad ...