ओडिशा में हुए ट्रेन हादसे में जान गंवाने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। वहीं, काफी ज्यादा लोग घायल भी हुए हैं। इस हादसे में पश्चिम बंगाल के लोग बड़ी संख्या में प्रभावित हुए हैं।
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हादसे की शिकार हुई ट्रेनों में से एक, कोरोमंडल एक्सप्रेस प्रदेश के शालीमार रेलवे स्टेशन से निकली थी। वहीं, दूसरी ट्रेन बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट को यहां के हावड़ा स्टेशन पहुंचना था। ऐसे में जैसे ही ट्रेन हादसे की खबर मिली, लोग दोनों ट्रेनों में सवार अपनों का हाल जानने के लिए बेचैन हो उठे। खासतौर पर हावड़ा रेलवे स्टेशन पर ऐसे लोगों की संख्या काफी ज्यादा थी।
हादसे में जिनकी जान बची है, उनमें से एक हैं रिपन दास। वह कर्नाटक में मजदूरी करते हैं। उनके भाई सुजय दास के मुताबिक जब उनकी अपने भाई से बात हुई वह एंबुलेंस में था।
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रिपन की गर्दन, कमर और पैर में चोटें हैं। बता दें कि शुक्रवार शाम ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रेन हादसे में करीब 300 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। इसके अलावा 700 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। हादसे को लेकर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री समेत विभिन्न हस्तियों ने दुख जताया है। रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव मौके पर पहुंच चुके हैं और बचाव कार्य तेजी से चल रहा है।
बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस को हावड़ा पहुंचना था। हावड़ा जंक्शन पर 60 साल के सपन चौधरी बेताबी से अपनी 23 साल की बेटी ऐशी चौधरी के सलामती के समाचार का इंतजार कर रहे थे। जानकारी के मुताबिक सपन ने बताया कि उनकी बेटी कर्नाटक में आईटी इंडस्ट्री में काम करती है।
अच्छी बात यह रही कि उनकी बेटी जिंदा है, हालांकि उसे कुछ चोटें लगी हैं। इसी हावड़ा स्टेशन पर शेख मोइनुद्दीन भी थे। वह अपनी बेटी नफीसा परवीन की खबर जानने के लिए पहुंचे हैं। उनकी बेटी कर्नाटक में नर्सिंग का कोर्स कर रही है और छुट्टियों में घर आ रही थी। उनकी बेटी भी उसी ट्रेन में थी, जो पटरी से उतरी है। हालांकि वह पूरी तरह से सही-सलामत है।