लखनऊ। लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील सिंह ने देश के प्रधानमंत्री द्वारा जिला अधिकारियों से संवाद मात्र करने से महामारी से देश की जनता को बचाए जाने को लेकर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री 7 साल से बात तो कर रहे हैं जम्मू-कश्मीर, राम मंदिर, धारा 370, हिन्दू-मुस्लिम, पाकिस्तान और चीन की और जिलाधिकारियों को चुनौती दे रहे हैं स्वास्थ्य सेवाओं से कोरोना को जीतने की।सिंह ने कहा कि उल्टा कोरोना से निपटने के लिए जो वैक्सीन बनवाई नोबल पुरस्कार लेने के चक्कर में वह विदेश में भिजवा दी।
स्वास्थ्य सेवाओं पर भाषण देने के अलावा प्रधानमंत्री ने धेले भर का काम नहीं किया। आबादी के हिसाब से मात्र 0.01 फीसद ही आबादी के लिए स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हैं। कई जिलों के स्वास्थ्य केंद्र पर मवेशी बंधे हुए हैं। कहीं डॉक्टर नहीं हैं तो कहीं स्टाफ नहीं हैं। दवाएं नहीं हैं। जिलों में रोज ऑक्सीजन की कमी से संक्रमित मरीजों के मरने की खबरें आ रही हैं। कोरोना से जीतने के लिए और आगे बढ़कर संवाद नही करने से बल्कि आक्सीजन और वेंटीलेटर, स्टाफ की जरूरत है।
ग्रामीण क्षेत्रों के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में 82 फीसदी विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है। विशेषज्ञों की भारी कमी है सरकार को इन कमियों को दूर करने के लिए विचार करना चाहिए। श्री सिंह ने आगे कहा है कि जिलाधिकारियों से ऑनलाइन संवाद करते हुए जिलों में कोरोना से जीतने की चुनौती देना बिना हथियार से युद्ध जीतना जैसा है।
प्रधानमंत्री शल्य चिकित्सा पर चर्चा करते हुए गणेश जी के धड़ पर हाथी का सिर लगाने को शल्य चिकित्सा बता रहे हैं। इन्हीं की सांसद प्रज्ञा ठाकुर गोमूत्र लगातार सेवन से कोरोना न होने की बात कर रही हैं। गांवों में अंधविश्वास और पाखंड के बल पर कोरोना से मुक्ति कैसे मिलेगी!