लखनऊ सहित देश की अन्य 56 निर्वाचित छावनी परिषद का कार्यकाल 10 फरवरी को समाप्त हो जाएगा। 11 फरवरी से छावनी परिषद वैरी बोर्ड के तहत प्रशासक के हवाले कर दिया जायेगा। इस संबंध में बुधवार (3 फरवरी ) को छावनी परिषद के पूर्ण सदन की बैठक में इस आशय का प्रस्ताव पारित करके सभी निर्वाचित पार्षदों को सूचित किया गया। अगले एक वर्ष के गठित होने वाले वैरी बोर्ड के दौरान छावनी परिषद के नये सदन के निर्वाचन की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
बताते चलें कि छावनी परिषद के मौजूदा सदन का गठन विगत 10 फरवरी 2015 से हुआ था। पाँच वर्षों के लिए निर्वाचित होने वाले पार्षदों का कार्यकाल हालांकि 10 फरवरी 2020 को समाप्त हो जाना चाहिए था। किन्तु रक्षा मंत्रालय की संस्तुति के चलते मौजूदा सदन का कार्यकाल 6-6 महीने के लिए दो बार बढाया गया।
छावनी परिषद सदन को भंग करने और वैरी बोर्ड के गठन की बाबत छावनी परिषद कार्यालय के सभाकक्ष मे आज यहाँ (3 फरवरी) बुलाई गई स्पेशल बोर्ड मीटिंग की अध्यक्षता परिषद अध्यक्ष ब्रिगेडियर राजीव शर्मा ने की। इस बोर्ड मीटिंग में सदन के सचिव व मुख्य अधिशासी अधिकारी अमित मिश्रा, परिषद उपाध्यक्ष श्रीमती रूपा देवी, पूर्व उपाध्यक्ष प्रमोद शर्मा, श्रीमती अंजुम आरा, परिषद सदस्य संजय कुमार वैश्य (दयाल), जगदीश प्रसाद, श्रीमती रीना सिंहानिया, श्रीमती स्वाति यादव और अमित शुक्ला उपस्थित रहे।
मौजूदा सदन में तीन पार्षदों ने चार बार संभाला उपाध्यक्ष का पद
यहाँ ये उल्लेखनीय है कि पाँच साल के बजाय छह साल तक चले छावनी परिषद सदन के दौरान तीन पार्षदों का चुनाव, चार बार परिषद उपाध्यक्ष के लिए किया गया। इनमें से अंजुम आरा का चुनाव डेढ़-डेढ साल के लिए दो बार, प्रमोद शर्मा का चुनाव दो साल के लिए एक बार और रूपा देवी का चुनाव एक साल के लिए एक बार किया गया। छावनी परिषद के मौजूदा सदन के दौरान वैसे तो नागरिकों के हित में कई उल्लेखनीय काम किए गये।
परन्तु आजादी के बाद पहली बार छावनी के सिविल एरिया में सीवर लाइन का काम शुरू हो सका। भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे स्वच्छ भारत मिशन के तहत सिविल एरिया में सार्वजनिक शौचालय, स्वच्छ पेयजल के लिए ओवर हेड टैंक का निर्माण और आधुनिक शिक्षा के लिए परिषद द्वारा प्रशासित स्कूलों के बेहतर रखरखाव के काम उल्लेखनीय रहे।