मुंबई। जिस तरह 25 जून, 2 अप्रैल, 24 फरवरी जैसी कई तारीखों को Indian भारत के क्रिकेट इतिहास में गर्व के साथ याद किया जाता है, उसी तरह 13 मार्च ऐसी तारीख है जिसे शायद ही कोई क्रिकेट प्रेमी याद रखना चाहेगा। ठीक 23 साल पहले आज ही के दिन कोलकाता (तत्कालीन कलकत्ता) में 13 मार्च 1996 को विल्स विश्व कप में भारत और श्रीलंका के बीच सेमीफाइनल हुआ था जिसे दर्शकों के हुड़दंग के कारण बीच में ही रद्द किया गया था। मैच में भारतीय टीम के प्रदर्शन से नाराज होकर कोलकाता के दर्शकों ने स्टैंड्स में आग लगाई और श्रीलंकाई खिलाड़ियों पर बोतलें और फल फेंके। पुलिस के तमाम प्रयासों के बावजूद स्थिति सुधरती नहीं देख मैच रैफरी क्लाइव लॉयड ने मैच रद्द कर श्रीलंका को विजयी घोषित किया था।
Indian फैंस की चाहत
भारतीय Indian फैंस यह मानकर चल रहे थे कि टीम इंडिया इस मैच में श्रीलंका को हराकर फाइनल में प्रवेश कर लेगी लेकिन हुआ इसके उलटा। श्रीलंका की शुरुआत तो खराब रही लेकिन 35 रनों पर 3 विकेट की स्थिति से उबरकर उसने 8 विकेट पर 251 रनों का मजबूत स्कोर बना दिया। अरविंद डीसिल्वा (66) ने रोशन महानामा (58 रन, रिटायर्ड हर्ट) के साथ पारी को संभाला। इनके अलावा कप्तान अर्जुन रणतुंगा (35), हसन तिलकरत्ने (32) और चामिंडा वास (23) ने उपयोगी योगदान दिया।
इसके जवाब में भारत ने नवजोत सिद्धू (3) का विकेट तो जल्दी गंवाया लेकिन सचिन तेंडुलकर और संजय मांजरेकर (25) जब क्रीज पर थे तब लग रहा था कि भारत लक्ष्य तक पहुंच जाएगा। तेंडुलकर के आउट होने के बाद वह हुआ जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। तेंडुलकर 65 रन बनाने के बाद जयसूर्या के शिकार बने तब टीम का स्कोर 98 रन था। इसके बाद तो जैसे विकेटों की पतझड़ लग गई और ईडन गार्डंस की पिच पर श्रीलंकाई स्पिनरों के साथ भारतीय बल्लेबाज खड़े नहीं हो पाए। कप्तान मोहम्मद अजहरूद्दीन, मांजरेकर, प्रमोट कर भेजे गए जवागल श्रीनाथ, अजय जडेजा, नयन मोंगिया और आशीष कपूर सब पैवेलियन लौट गए।
जयसूर्या सबसे घातक गेंदबाज
जयसूर्या सबसे घातक गेंदबाज साबित हुए और उन्होंने 12 रनों के अंदर तेंडुलकर, मांजरेकर और जडेजा का शिकार किया। टीम के इस तरह के बेहद लचर प्रदर्शन और संभावित करारी हार को देख दर्शक बेकाबू हो गए और उन्होंने स्टैंड्स में आग लगाना और बाउंड्री पर फील्डिंग कर श्रीलंकाई खिलाड़ियों पर बोतलें और फल फेंकना शुरू कर दिया।
अपने खिलाड़ियों की सुरक्षा को लेकर श्रीलंकाई कप्तान रणतुंगा ने अंपायरों के सामने चिंता जताई जिसके बाद खेल रोक दिया गया। जब खेल रोका गया तब भारत ने 34.1 ओवरों में 8 विकेट पर 120 रन बनाए थे, विनोद कांबली 10 और अनिल कुंबले बगैर खाता खोले क्रीज पर थे। स्थिति सुधरती नहीं देख और मैच की स्थिति के मद्देनजर मैच रैफरी लॉयड ने मैच रद्द कर श्रीलंका को विजयी घोषित कर दिया। जब श्रीलंका को विजयी घोषित किया गया तो कांबली रोते हुए मैदान के बाहर आए। इसी के साथ भारत के क्रिकेट दामन पर मैच अवॉर्ड किए जाने का दाग लग गया।