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फाइलेरिया का नहीं है कोई इलाज इसलिये दवा का सेवन ज़रूरी, नहीं हो पाता है पूरी तरह ठीक

  • एक बार हाथीपांव होने के बाद सिर्फ नियंत्रण संभव, नहीं हो पाता है पूरी तरह ठीक

  • राम सनेही एक-दूसरे को समझाकर खिलवा रहे हैं दवा

  • Published by- @MrAnshulGaurav
  • Thursday, June 09, 2022

कानपुर नगर। हाथी पांव यानी फाइलेरिया होने पर प्राथमिक अवस्था में उसे रोका तो जा सकता है लेकिन खत्म नहीं किया जा सकता। इसी बात को राम सनेही ने समझा और खुद पीड़ित होने के बावज़ूद अब अपने गाँव में एक-दूसरे को समझाकर दवा खिलवा रहे हैं।

कल्याणपुर ब्लॉक क्षेत्र के राम सनेही करीब 40 साल से फाईलेरिया का दर्द ढो रहें हैं । हाथी पांव से पीड़ित 60 वर्षीय राम सनेही बताते हैं कि करीब 45 वर्ष पूर्व देर रात अचानक से बुखार महसूस हुआ और दाहिना पैर लाल होना शुरू हुआ और फिर उनमें सूजन बढ़ने लगी। बुखार के साथ ठण्ड भी इतनी लग रही थी की रजाई भी काम नहीं कर रही थी। दूसरे दिन कुछ जड़ी बूटियाँ लगायी पर बुखार तो ठीक हो लेकिन पैर में कोई आराम नहीं मिला।

फाइलेरिया का नहीं है कोई इलाज इसलिये दवा का सेवन ज़रूरी, नहीं हो पाता है पूरी तरह ठीक

राम सनेही बताते हैं की एक परिचित के कहने पर मेरठ गए दिखाने पर मायूस होकर लौटना पड़ा फिर बाद में जांच कराने पर फाइलेरिया का पता चला । तब से कई निजी चिकित्सकों और सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने जा चुके हैं लेकिन हर जगह मायूस होना पड़ा। जवाब मिला कि फाइलेरिया पूरी तरह से ठीक नहीं हो सकता लेकिन सावधानी रख कर इसका प्रसार और इससे होने वाले नुकसान को रोका जा सकता है।

राम सनेही के परिवार में सिर्फ वह और पत्नी ही हैं। वह बताते हैं की जब उनको पता चला कि कुष्ठ रोग के कारण खराब हुए अंगों को तो सर्जरी के जरिए दोबारा सही किया जा सकता है लेकिन हाथी पांव की समस्या नहीं सुलझाई जा सकती। तब मानो मेरे ऊपर पहाड़ ही टूट पड़ा। पर अब उनकी स्वास्थ्य केंद्र से निःशुल्क दवा चल रही है।

किट भी दिया गया है और साफ-सफाई का तरीका बताया गया है। दवा से अपेक्षाकृत आराम है। राम सनेही अब अपने गाँव में सभी को फाइलेरिया की दवा का सेवन करने के लिये जागरूक कर रहे हैं। वह हर किसी को बताते हैं कि मैंने तो दवा ना खा कर अपने साथ गलत किया लेकिन कोई भी यह गलती न दोहराये। दवाई की खुराक पूरी नहीं करने पर यह रोग शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए नुकसानदायक है।

जिला मलेरिया अधिकारी एके सिंह बताते हैं कि प्रदेश के 50 जिले फाइलेरिया प्रभावित हैं। भारत में 60 करोड़ से ज्यादा लोगों पर फाइलेरिया का खतरा है । फाइलेरिया के कारण होने वाले हाइड्रोसील की तो सर्जरी हो जाती है लेकिन हाथ, पैर, स्तन या शरीर के अन्य अंगों का सूजन पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है । जिले में स्वास्थ्य विभाग की देखरेख में फाइलेरिया रोगियों का इलाज चल रहा है।

वर्ष 2020 में 1461 हाइड्रोसील के मरीज चिन्हित किये गये । इस बीमारी से और लोग न पीड़ित हों, इसके लिए सभी का दवा सेवन करना अनिवार्य है। अगर दो साल की उम्र पूरी करने के बाद पांच साल तक लगातार साल में एक बार फाइलेरिया की दवा का सेवन किया जाए तो व्यक्ति इस बीमारी से प्रतिरक्षित हो जाता है।

राम सनेही एक-दूसरे को समझाकर खिलवा रहे हैं दवा

ऐसे होता है फाइलेरिया

डीएमओ ने बताया कि जब खास प्रकार का क्यूलेक्स मच्छर फाइलेरिया संक्रमित व्यक्ति को काटने के बाद किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो उसे भी संक्रमित कर देता है, लेकिन संक्रमण का यह लक्षण आने में पांच से पंद्रह साल तक भी लग जाते हैं । इससे या तो संक्रमित व्यक्ति को हाथीपांव हो जाता है, जिसमें हाथ, पैर, स्तन सूज जाते हैं अथवा हाइड्रोसील हो जाता है जिसमें अंडकोष सूज जाता है। हाथीपांव के साथ जीवन का निर्वहन कठिन हो जाता है। इन स्थितियों से बचने का एक ही उपाय है कि कम से कम 5 वर्षों तक हर अभियान के दौरान दवा खाई जाए।

रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर

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