गैर भाजपाई दलों कांग्रेस-सपा-बसपा को लव जेहाद के खिलाफ योगी सरकार द्वारा बनाया गया धर्मांतरण सबंधी कानून रास नहीं आ रहा है। कांग्रेस ने अधिकृृत रूप से कोई बयान नहीं दिया है, लेकिन पार्टी के तमाम नेता अलग-अलग बयानबाजी करके लव जेहाद के खिलाफ योगी सरकार के कानून को गलत ठहराने में लगे हैं। उधर, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी कह रहे हैं कि धर्मांतरण कानून विधेयक विधानसभा में आयेगा तो सपा पूरी तरह विरोध करेगी, क्योंकि सपा ऐसे किसी कानून के पक्ष में नहीं है। वहीं बहुजन समाज पार्टी ने योगी सरकार से इस अध्यादेश पर पुनर्विचार करने की मांग की है। मायावती ने ट्वीट करके कहा कि लव जिहाद को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आपाधापी में लाया गया धर्म परिवर्तन अध्यादेश अनेक आशंकाओं से भरा है,जबकि देश में धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए पहले से ही कई कानून मौजूद हैं।
वहीं कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम को लगता है कि लव जेहाद के खिलाफ योगी सरकार का कानून अदालतों में नहीं टिक पाएगा। क्योंकि कानून में विभिन्न धर्मों के बीच विवाह को अनुमति दी गई है। चिदंबरम को न जानें ऐसा क्यों लगता है कि लव जिहाद पर कानून एक छलावा और बीजेपी की बहुसंख्यकों की राजनीति के एजेंडे का हिस्सा है,वह कहते हैं जबकि भारतीय कानून के तहत विभिन्न धर्मों के लोगों के बीच विवाह की अनुमति है, यहां तक कि कुछ सरकारों द्वारा इसे प्रोत्साहित भी किया जाता है। तो फिर इसे कोई रोक कैसे सकता है। उन्होंने कहा,’कुछ राज्य सरकारों द्वारा इसके खिलाफ कानून लाने का प्रस्ताव देना असंवैधानिक होगा।’ कांग्रेस नेता को लगता है कि जबरन व छल से धर्मांतरण को ना तो खास मान्यता और ना ही स्वीकार्यता है।
वैसे कांग्रेस नेता चिदम्बरम ही नहीं पूरी पार्टी के साथ यही समस्या है कि वह हकीकत जानने-समझने की कोशिश ही नहीं करती हैं। उसे दलितों के साथ अत्याचार होता है तो दिख जाता है,लेकिन जब बहुसंख्यकों के साथ कुछ गलत होता है तो वह आंखें फेर लेती है। खासकर मामला जब मुसलमानों से जुड़ा हो तो कांग्रेस को बहुसंख्यक समाज की भावनाएं आहत करने मेें जरा भी संकोच नहीं होता है। इसी लिए तो कांग्रेस अयोध्या में राम मंदिर बनाने, एक बार में तीन तलाश जैसी कुरीति, नागरिकता संशोधन कानून सबकी मुखालफत करने लगती है। अपनी राजनैतिक रोटियां सेंकने के लिए कांग्रेस भारत की जगह दुश्मन देशों चीन और पाकिस्तान के सुर में सुर मिलाने से भी संकोच नहीं करते हैं।
खैर, कांग्रेस हो या फिर सपा-बसपा सब के सब लव जेहाद के खिलाफ योगी सरकार द्वारा लाए गए कानून में खामियां निकालने में लगे हैं,लेकिन किसी को भी इस बात की चिंता नहीं हैं कि लव जेहाद का शिकार हो रहीं बहुसंख्यक समाज की बेटियों और लव जेहाद में बेटियों के फंस जाने के बाद परिवार वालों को कितना कष्ट और अपमान सहना पड़ता है। ‘लव जेहाद’ में फंसाकर बहुसंख्यक समाज की बेटियों के साथ कोई छलपूर्वक विवाह कर लेता है तो ऐसे जेहादियों को सजा क्यों नहीं मिलनी चाहिए। आखिर इसमें बुराई क्या है।
लव जेहाद के खिलाफ कानून बनते ही इस जेहाद से पीड़ित कई लड़कियां और उनके परिवार वालों के पुलिस की चैखट (थाना) पर पहंुचने के मामले सामने आने लगे हैं, जो यह साबित करने के लिए काफी है कि लव जेहादियों की जड़ें कितनी गहरी हैं। अध्यादेश के प्रभावी होते ही बरेली जिले के देवरनियां थाना क्षेत्र में इसके तहत पहला मुकदमा दर्ज किया गया जिसमें एक युवक ने शादीशुदा युवती पर धर्म बदलकर निकाह करने के लिए दबाव बनाया और उसके पूरे परिवार को धमकी दी थी। देवरनियां थाने में उवैश अहमद के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और नए अध्यादेश के तहत मामला दर्ज किया गया। पुलिस के मुताबिक बरेली में शरीफ नगर गांव के रहने वाले एक किसान ने शिकायत दी कि पढ़ाई के दौरान उनकी बेटी से समय गांव के उवैश अहमद पुत्र रफीक अहमद ने उसकी बेटी से जान-पहचान कर ली थी। आरोप है कि इसके पश्चात उवैश अहमद उनकी बेटी को बहला-फुसलाकर धर्म परविर्तन के लिए दवाब बना रहा है। इसका विरोध करने पर वह उन्हें और परिवार को जान से मारने की धमकी देता है।
उक्त मामले की गूंज थमी भी नहीं थी कि बरेली में ही एक बार फिर लव जेहाद का दूसरा सनसनीखेज मामला सामने आ गया। जहां ताहिर हुसैन नामक शख्स पर आरोप है कि उसने एक हिन्दू युवती का शादी के नाम पर यौन शोषण किया। युवती जब गर्भवती हो गई तो शादी से इंकार करते हुए ‘लव जहिाद’ की साजिश का खुलासा करते हुए उसके पेट में लात मारकर उसका दो माह का गर्भ गरिा दिया। पीड़िता की शिकायत पर पुलिस ने चार लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर मुख्य आरोपी को जेल भेज दिया है। पीड़ित युवती का कहना था कि ताहिर ने अपना नाम कुणाल शर्मा बताया था। कुणाल के नाम से ही जालसाज ने अपना एक फर्जी फेसबुक अकाउंट भी बना रखा था, लेकिन बाद में शादी का दबाव बनाते समय उसने अपना नाम ताहिर हुसैन बताया।
इसी प्रकार पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जनपद मुजफ्फरनगर में लव जिहाद का एक मामला सामने आया है। एक महिला के पति की तहरीर पर पुलिस ने दो आरोपियों के खिलाफ लव जिहाद का मामला दर्ज कर लिया है। मामला अलग-अलग संप्रदाय से जुड़ा हुआ है। पुलिस ने इस मामले में दो आरोपियों के खिलाफ कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच पड़ताल शुरू कर दी है।
निश्चित तौर पर यह कहा जा सकता है कि योगी सरकार ने लव जेहाद के खिलाफ कानून बनाकर बहुसंख्यक समाज को एक बड़ी राहत पहुंचाई है। दरअसल, बहुसंख्यक समाज में लड़़कियांें के साथ उनके पहनावे को लेकर जोर जबर्दस्ती नहीं की जाती है, उनको पढ़ने-लिखने की पूरी छूट दी जाती है। बहुसंख्यक समाज में धर्म की आढ़ में लड़कियों को नकाबपोश रहने को मजबूर नहीं किया जाता है। इसी का फायदा उठाकर कुछ लव जेहादी 14-15 से लेकर 18-20 साल तक की लड़कियों को छल-प्रपंच करके अपने प्रेम जाल में फांस लेते हैं। इस उम्र की लड़कियों के पास इतनी गम्भीरता नहीं होती है जो सच-झूठ में अंतर कर सकें। इसी के चलते वह लव जेहादियों के जाल मंे फंस जाती हैं,जब हकीकत सामने आती है तब तक काफी देर हो चुकी होती है और लौटने के रास्ते भी आसान नहीं होते हैं। लव जेहादी पहले तो बहुसंख्यक समाज की छोटी उम्र की लड़कियों को अपने पे्रम जाल में फंसाकर शादी कर लेते हैं,फिर उनको तलाक देकर छोड़ देते हैं। कई बार तो इन लड़कियों को खाड़ी देशों तक में बेच दिया जाता है।
उक्त मामले बताते हैं कि योगी सरकार जो कानून लाई है, वह काफी जरूरी था, सरकार यह कानून ले आई है तो उसको यह भी तय करना होगा कि कानून की आड़ में लोग अपनी पुरानी रंजिश न निभाएं। किसी को लव जेहाद के नाम पर परेशान नहीं किया जाना चाहिए। अच्छा होता कानून में यह प्रावधान भी साफ-साफ कर दिया जाता कि इसका दुरूपयोग करने वालों के साथ कैसे निपटा जाएगा। क्योंकि इससे पूर्व दहेज विरोधी कानून, एसटी/एससी एक्ट, गौरक्षा जैसे तमाम कानूनों का दुरूपयोग होते देखा जा चुका है।
योगी सरकार को इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि कांग्रेस-सपा और बसपा जैसे दल लव जेहाद की आड़ में उत्तर प्रदेश में अशांति नहीं पैदा कर सकें। क्योंकि कांगे्रस और उसके जैसे तमाम दल कभी किसानों तो कभी युवाओं, मुसलमानों, कोरोना महामारी, प्रवासी मजदूरों के नाम पर लम्बे समय से यूपी में माहौल खराब करने की साजिश रच रहे है। कुल मिलाकर अगर कोई सरकार बहुसंख्यक समाज के हितों की रक्षा के लिए कोई कानून बनाती या कदम उठाती है तो उस पर राजनीति करने की बजाए विपक्ष को चिंतन करना चाहिए।