बिधूना/औरैया। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तिथियों की फिलहाल घोषणा ना होने के बावजूद जल्द चुनाव होने की आशा लगाए बैठे संभावित प्रत्याशियों का मन मयूर नाचने लगा है। आरक्षण की स्थिति स्पष्ट न होने के बावजूद भी अपने अपने मनमाफिक सीट आरक्षित होने के कयास लगा कर संभावित दावेदार गांव गांव अपनी जीत की गोटे बिछाने में मस्त नजर आ रहे हैं। पुलिस प्रशासन भी पंचायत चुनाव की तैयारियों में जुटा दिख रहा है।
भले ही अभी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का विधिवत बिगुल नहीं बजा है और न ही सीटों के आरक्षण की स्थिति ही स्पष्ट हुई है किंतु इसके बावजूद लंबे अरसे से चुनाव लड़ने के अरमान संजोए बैठे खासकर प्रधान पद के संभावित उम्मीदवारों का चुनावी समर में कूदने के लिए मन मयूर नाचने लगा है। अधिकांश संभावित दावेदार अपनी अपनी मनमाफिक सीट होने के कयास लगाकर ही गांव में अभी से ही रात दिन एक कर के मतदाताओं को तरह-तरह के लुभावने सब्जबाग दिखाकर पटाने में जुटे नजर आ रहे हैं। पुलिस व प्रशासन द्वारा भी चुनावी तैयारियों में व्यस्त हो जाने से जल्द चुनाव होने की प्रबल संभावना के मद्देनजर संभावित दावेदारों की धड़कनें और तेज हो गई हैं।
यही नहीं सबसे दिलचस्प और गौरतलब बात तो यह है कि प्रधान पद पर काबिज होने की मंशा बनाए संभावित दावेदारों द्वारा गांवों में दारू मुर्गे की दावतें भी मतदाताओं को छकाना शुरू कर दिया गया है। यही नहीं मतदाता भी कम चालाक नहीं है वह सभी प्रत्याशियों को वोट का पक्का भरोसा देकर सभी की दावतों का लुत्फ उठाने में नहीं चूक रहे हैं। इन चालाक मतदाताओं का कहना है कि 5 साल में एक बार ही उन्हें अपनी जी हजूरी कराने का मौका मिलता है बाद में चुनाव की हार जीत के बाद तो उन्हें ही जीते प्रत्याशी की जी हजूरी करनी पड़ती है।
इतना ही नहीं प्रधान पद पर आसीन होने के ख्वाब देख रहे ज्यादातर प्रत्याशी वोट के ठेकेदारों की आवभगत करने के साथ किसकी जेब में कितने वोट हैं चुनावी चकल्लस का शातिर कौन है ऐसे लोगों की भी तलाश करने में जुटे नजर आ रहे हैं। गांव की चौपालों गलियों में भी त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की चर्चाओं में लोग व्यस्त दिख रहे हैं।
रिपोर्ट-अनुपमा सेंगर