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ये बैंक हो सकते है सरकारी से प्राइवेट, बुधवार को होगी बड़ी बैठक…

बैंकों के प्राइवेटाइजेशन को लेकर बुधवार को अहम बैठक हो सकती है. 14 अप्रैल को नीति आयोग, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और वित्त मंत्रालय के अधिकारी इस बैठक में शामिल हो सकते है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक,  बैठक में उन दो बैंकों के नामों पर फैसला लिया जाएगा, जिसका निजीकरण होगा. नीति आयोग ने 4-5 बैंकों के नामों का सुझाव दिया है. नीति आयोग ने इन बैंकों की वित्तीय हालत, कर्ज का बोझ और कुछ अन्य पहलुओं को ध्यान में रखते हुए डिटेल्ड रिपोर्ट तैयार की है. इनमें से कुछ बैंक अभी रिजर्व बैंक के प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन में हैं. सूत्रों की मानें तो सरकार इन बैंकों में पहले पैसा डालेगी और बाद में इनका निजीकरण कर दिया जाएगा. इसके अलावा मर्जर ऑप्शन पर भी विचार हो सकता है.

ये बैंक हो सकते है सरकारी से प्राइवेट

नीति आयोग ने 4-5 बैंकों के प्राइवेटाइजेशन की सिफारिश की है. इनमें बैंक ऑफ महाराष्ट्र, इंडियन ओवरसीज बैंक, बैंक ऑफ इंडिया और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया है. जिन दो नामों पर सबसे ज्यादा चर्चा है, वो इंडियन ओवरसीज बैंक और बैंक ऑफ इंडिया है.

इस खबर के बाद इन चारों बैंकों के शेयरों में जोरदार तेजी आई है. बैंक ऑफ इंडिया का शेयर 9 फीसदी बढ़कर 72 रुपये के भाव पर पहुंच गया.

वहीं, बैंक ऑफ महाराष्ट्र का शेयर 18 फीसदी, आईओबी का शेयर 11 फीसदी और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के शेयर में 7 फीसदी की जोरदार तेजी आई.

क्या बैंकों का निजीकरण सही?

वॉयस ऑफ बैंकिंग के फाउंडर अशवनी राणा ने मनी9 को बताया कि वित्त मंत्री ने अपने बजट में बैंकों का निजीकरण (Banks Privatisation) करने का संकेत दिया था.

सरकार का बैंकों के हालात को सुधारने के लिए बैंकों का निजीकरण करने का निर्णय ठीक नहीं है. सरकार आत्मनिर्भर भारत की बात करती है लेकिन बैंकों के निजीकरण से सरकार के इस सपने को पूरा होने में निजी बैंकों का उतना योगदान नहीं होगा, जितना सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का होगा.

बैंकों के राष्ट्रीकरण में भी प्रमुख कारण निजी बैंकों का देश की प्रगति में योगदान न करना था. राष्ट्रीयकरण से पहले 700 से अधिक बैंक डूबे थे. समय समय पर बड़े-बड़े निजी बैंकों की हालत खराब होने की स्तिथि में सरकार द्वारा ही इन बैंकों को बचाया जा सका.

इन बैंकों का निजीकरण नहीं होगा

नीति आयोग ने यह तय कर लिया है कि किन बैंकों का निजीकरण नहीं होगा. इनमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, PNB, बैंक ऑफ बड़ौदा के अलावा जिन बैंकों का पिछले कुछ समय में एकीकरण किया गया है, उनको प्राइवेटाइजेशन से बाहर रखा गया है. इस समय देश में 12 सरकारी बैंक हैं.

बता दें कि सरकार में सरकार ने बजट में बैंकों के निजीकरण का ऐलान किया था. अगले कारोबारी साल में दो बैंकों के निजीकरण की तैयारी है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी को 2021-22 का बजट पेश करते हुए सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों और एक बीमा कंपनी के निजीकरण का प्रस्ताव रखा था.

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