Breaking News

सुप्रीम कोर्ट के इस एतिहासिक फैंसले का सवर्ण महासंघ फाउंडेशन ने किया जोरदार स्वागत

लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट ने SC और ST के लिए प्रमोशन में आरक्षण की शर्तों को कम करने से इनकार कर दिया है। सवर्ण महासंघ फ़ाउंडेशन के संस्थापक, गजेन्द्र त्रिपाठी ने कोर्ट के इस फैसले को एक एतिहासिक ओर साहसिक फैंसला बताया।

इस फैसले को सवर्ण योद्धाओं की एक बड़ी जीत बताते हुए गजेन्द्र त्रिपाठी ने इसे देश व समाजहित में कोर्ट द्वारा लिया गया एक दूरदर्शी, अतिआवश्यक न्यायपूर्ण निर्णय करार दिया है। बताते चले कि सवर्ण महासंघ फ़ाउंडेशन, आरक्षण के खिलाफ मुखर रहा है और इसके खिलाफ पिछले काफी समय से देशव्यापी अभियान चला रहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्य SC और ST के कर्मचारियों को प्रमोशन में रिजर्वेशन देने से पहले क्वॉन्टेटिव डेटा जुटाने के लिए बाध्य है। हालांकि, केंद्र यह तय करे कि डेटा का मूल्यांकन एक तय अवधि में ही हो और यह अवधि क्या होगी यह केंद्र सरकार तय करे।

कोर्ट ने यह भी कहा है कि 2006 के नागराज और 2018 के जरनैल सिंह मामले में संविधान पीठ के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट कोई नया पैमाना नहीं बना सकती है। केंद्र और राज्यों से जुड़े आरक्षण के मामलों में स्पष्टता पर सुनवाई 24 फरवरी से शुरू होगी।

हम कोई मानदंड नहीं निर्धारित कर सकते- सुप्रीम कोर्ट

जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि हमने माना है कि हम प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता को निर्धारित करने के लिए कोई मानदंड निर्धारित नहीं कर सकते। एक निश्चित अवधि के बाद प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता के आकलन के अलावा मात्रात्मक डेटा का संग्रह अनिवार्य है।

यह समीक्षा अवधि केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित की जानी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि कैडर आधारित रिक्तियों के आधार पर आरक्षण पर डेटा एकत्र किया जाना चाहिए। राज्यों को आरक्षण प्रदान करने के उद्देश्य से समीक्षा होनी चाहिए और केंद्र सरकार समीक्षा की अवधि निर्धारित करेगी।

शाश्वत तिवारी
  शाश्वत तिवारी

About Samar Saleel

Check Also

अहंकार जीवन को समाप्ति की ओर ले जाता है- पण्डित उत्तम तिवारी

अयोध्या। अमानीगंज क्षेत्र के पूरे कटैया भादी में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन ...