लखनऊ। देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी इंदौर (Devi Ahilya University Indore) में प्रबंधन में भारतीय लोकाचार शिक्षण के अग्रदूत डॉ पीएन मिश्रा (Dr PN Mishra) ने कहा कि कोई भी समाज असत्य को स्वीकार नहीं करता है, क्योंकि असत्य के आधार पर समाज का निर्माण संभव नहीं है। असत्य केवल भ्रम और अव्यवस्था का कारण बनता है। डॉ पीएन मिश्रा रविवार को तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी (TMU) , मुरादाबाद के भारतीय ज्ञान परंपरा केंद्र- IKS Center की ओर से रिविजीटिंग ह्यूमन वैल्यूज एंड प्रोफेशनल एथिक्स फ्रॉम इंडियन नॉलेज सिस्टम (Second Online National Conclave on Revisiting Human Values and Professional Ethics from Indian Knowledge System) पर आयोजित सेकेंड ऑनलाइन नेशनल कॉन्क्लेव में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।
डॉ पीएन मिश्रा ने बताया कि चोरी, क्रोध और पाप समाज का पतन करते हैं। नैतिक मूल्यों का नाश करते हैं। समाज में अनुशासन और नैतिकता आवश्यक हैं, ताकि व्यक्ति और समाज दोनों ही सही दिशा में आगे बढ़ सकें।
टीएमयू के वीसी प्रो वीके जैन ने कार्यक्रम की थीम की विस्तार से व्याख्या की। प्रो जैन ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा भारतीय मूल्य, नैतिकता, अहिंसा और जैन धर्म के दृष्टिकोण को आधुनिक शिक्षा के साथ जोड़ती है। उच्च शिक्षा केवल तकनीकी और व्यावसायिक ज्ञान देने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह मानवता, नैतिकता और भारतीय संस्कृति के महत्वपूर्ण सिद्धांतों को भी संरक्षित और बढ़ावा देने का क्षेत्र है। डीन एकेडमिक्स प्रो मंजुला जैन ने यूनिवर्सिटी की प्रगति आख्या प्रस्तुत की।
देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी, इंदौर की पूर्व कुलपति डॉ रेणु जैन ने कहा, जीवन का वास्तविक उद्देश्य न केवल भौतिक सुखों का संचय करना है, बल्कि आत्म-साक्षात्कार और समाज में योगदान देना भी है। समाज में व्यक्तिगत सफलता से ज्यादा महत्वपूर्ण समाज का समग्र विकास और एकता है। प्रसिद्ध लेखक और वक्ता डॉ नंदितेश निलय ने कहा कि परिवार हर व्यक्ति का पहला समाज होता है। परिवार न केवल बच्चों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, बल्कि यह समाज में अच्छे नागरिकों की नींव भी रखता है। परिवार से ही व्यक्ति को आदर्शों, मूल्यों और संबंधों की समझ होती है।
भोपाल के स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर के बोर्ड ऑफ गवर्नेंस एवम नेशनल समिति ऑफ़ ह्यूमन वैल्यूज एंड प्रोफेशनल एथिक्स के चेयरमैन डॉ एचडी चारन ने बताया, भारतीय ज्ञान में यह माना जाता है। प्रकृति और जीवन के सभी पहलु आपस में जुड़े हुए हैं। यह एक समग्र दृष्टिकोण है, जिसमें मनुष्य को प्रकृति के साथ संतुलन बनाए रखते हुए अपने जीवन को जीने की सलाह दी जाती है। व्यवहार और नैतिक मूल्यों का महत्व पर डॉ चरन ने यह कहा कि जीवन में अच्छे आचरण और नैतिक मूल्य महत्वपूर्ण हैं। हमारे आचरण से न केवल हमारा व्यक्तिगत विकास होता है, बल्कि समाज में भी शांति और समृद्धि का माहौल बनता है। उन्होंने कहा कि जीवन छोटा है, इसलिए व्यक्ति को हमेशा अच्छा कार्य करने की कोशिश करनी चाहिए, ताकि उसे जीवन में संतुष्टि और आत्मशांति मिल सके। उन्होंने मोक्ष का महत्व बताते हुए कहा कि भारतीय दर्शन में मोक्ष का अर्थ है आत्मा की मुक्ति, जो भौतिक सुखों से नहीं, बल्कि आत्मज्ञान और जीवन के उद्देश्य की समझ से प्राप्त होती है। मोक्ष को जीवन का अंतिम लक्ष्य माना गया है, जिसमें व्यक्ति अपने सभी सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर आत्म-साक्षात्कार करता है।
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श्री लाल बहादुर शास्त्री संस्कृत यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली में जैन दर्शन के प्रोफेसर डॉ अनेकांत जैन ने व्यावसायिक हिंसा की परिभाषा को विस्तार से स्पष्ट किया। उन्होंने कहा, हिंसा केवल शारीरिक आक्रमण ही नहीं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से कष्ट पहुंचाना भी हिंसा की श्रेणी में आता है। गुरुकुल कांगड़ी यूनिवर्सिटी, हरिद्वार में प्रबंधन अध्ययन संकाय के डीन प्रो विनोद कुमार सिंह ने कहा, प्राचीन भारतीय समाज में विभिन्न जातियों और वर्गों का स्पष्ट विभाजन था, जो प्रत्येक वर्ग को अपनी जिम्मेदारियों और अधिकारों का ज्ञान कराता था। उन्होंने धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के महत्व को स्पष्ट करते हुए बताया कि भारतीय ज्ञान परंपरा में इन्हें जीवन के चार स्तंभ माना गया है। धर्म जीवन के नैतिक और आध्यात्मिक पहलू, अर्थ भौतिक समृद्धि और संसाधनों के सही उपयोग और काम व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक सुख की प्राप्ति का आधार है, जबकि मोक्ष आत्मा की मुक्ति और परम शांति की प्राप्ति को दर्शाता है।
टीएमयू भारतीय ज्ञान परम्परा केंद्र के प्रोफेसर चेयर डॉ अनुपम जैन ने कहा कि जीवन में कुटिलता का आचरण और लोभ की भावना से दूर रहना चाहिए, क्योंकि ये मानसिक विकृति समाज में विघटन और असंतोष पैदा करती हैं। उन्होंने कहा, प्रतिस्पर्धा से अधिक मिलजुल कर काम करने की भावना महत्वपूर्ण है ताकि समाज का हर व्यक्ति उन्नति की दिशा में आगे बढ़े। डॉ अनुपम जैन ने कहा कि जब व्यक्ति बदलता है, तो समाज भी बदलता है, और जब समाज में सकारात्मक बदलाव आते हैं, तो राष्ट्र भी बदलता है।
नेशनल कॉन्क्लेव का संचालन टीएमयू आईकेएस सेंटर की समन्वयक डॉ अल्का अग्रवाल और सेंटर फॉर टीचर लर्निंग एंड डवलपमेंट-सीटीएलडी के निदेशक डॉ पंकज सिंह ने संयुक्त रूप से किया।