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क्रांतिधर्मी धर्मेश दुबे की श्रद्धांजलि सभा का हुआ आयोजन

विभिन्न वक्ताओं ने श्रद्धांजलि के साथ दिए मार्मिक वक्तव्य

औरैया। सार्वजनिक जीवन में सादगी, त्याग, अपरिग्रहता के साथ जीवन भर उत्कृष्ट मूल्यों को धारण कर असाधारण यश कीर्ति अर्जित करने वाले क्रान्तिधर्मी धर्मेश दुबे की तेरवहीं के अवसर पर उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर की चर्चा के साथ उमेश वाटिका में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन सम्पन्न हुआ। जिसकी अध्यक्षता शाहजहांपुर से पधारे पूर्व संपादक श्रीप्रबन्ध त्रिपाठी वरिष्ठ पत्रकार ने की और संचालन इटावा से पहुंचे स्तम्भकार गणेश ज्ञानार्थी ने किया।

पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष स्व0 दुबे के समाज व राष्ट्र हित में ताउम्र किये गये संघर्ष जिजीविषा को अद्वितीय बताते हुये श्रीप्रबन्ध त्रिपाठी ने कहा कि बीते 50 वर्षों में औरैया के जुझारूपन का सूर्य अब अस्त हो गया है। धर्मेश ने निजी हितों को ताक पर रखकर औरैया के हर संघर्ष और आन्दोलनों में समाज हित में जो लक्ष्य हासिल किये उनका स्मरण औरैया के लोग लम्बे काल तक करते रहेंगे। पत्रकारिता, समाजसेवा, राजनैतिक क्षेत्रों में उनके योगदान से उनकी छवि सर्वगुण सम्पन्न व्यक्तित्व की बन गयी थी। उनकी स्मृतियों को बनाये रखकर अनुकरणीय पीढ़ी का निर्माण करने के लिये व पूरी सहायता करेंगे।

नोएडा से चलकर बिधूना निवासी मंजू सिंह सेंगर पुत्रवधू स्व0 गजेन्द्र सिंह सेंगर व पत्रकार शिक्षक शिवप्रताप सेंगर ने हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित की। कानपुर से आये अजय कुमार शुक्ला ने कहा कि उनकी नजर में डॉ0 लोहिया के सच्चे अनुयायी सिद्ध हुये। धर्मेश का न कोई बैंक खाता और न कोई बीमा। वे संग्रह की चिन्ता से मुक्त जनहितार्थ संघर्ष करने वाले आन्दोलनकारी, श्रेष्ठ क्रान्तिकारी वक्ता और सत्ता की सहकारिता से दूर सचमुच जनसेवक थे।

चार दशक से अधिक समय नित्यप्रति साथ गुजारने वाले वरिष्ठ पत्रकार आनन्द कुशवाह का कहना था कि वे जिला बचाओ आन्दोलन, मुंसिफी अस्पताल आदि के लिये संघर्ष समेत हर रचनात्मक कार्यक्रम में उनका नेतृत्व सहयोगियों में अनोखी ऊर्जा का संचार करता था। पत्रकार चन्द्रशेखर अग्निहोत्री ने भाव विह्वल होते हुये स्वर्गीय को पत्रकारों और सार्वजनिक जीवन के कार्यकर्ताओं का श्रेष्ठ प्रशिक्षक और हमदर्द बताते हुये कहा कि जनमानस के दर्द का अहसास करने वाले और उसके निवारण के लिये अकेले ही जूझते हुए अपने पीछे कारवां खड़ा करने की उनमें विशेष क्षमता थी।

व्यक्तित्व और कृतित्व पर चर्चा का आगाज करने वाले औरैया प्रेस क्लब संरक्षक सुरेश मिश्रा एडवोकेट ने कहा कि 12 अगस्त 1942 को औरैया पहले आजाद हुआ जिसकी बरसी पर धर्मेश जी ने क्रान्तिकारियों के बलिदानी संघर्ष से नई पीढ़ी को लगातार जोड़ा। उनकी परम्परा को आगे बढ़ाने का कर्तव्य निभाते हुये उनका स्मरण और अनुकरण हमारा फर्ज है।

मैनपुरी से आये पूर्व प्रधानाचार्य जगदीश चन्द्र त्रिपाठी ‘राकेश’ ने बचपन से अधेड़ावस्था तक स्वर्गीय के तमाम संस्मरण सुनाते हुये समाजहित में उनके योगदान को याद किया। संचालन कर रहे स्तम्भकार गणेश ज्ञानार्थी ने कहा कि अभावों की भिन्नता किये बगैर, बिना साधन और सुविधाओं के भी सत्ताधीशों की निरंकुशता और संवेदनहीनता को कैसे आइना दिखाया जा सकता है और अपने विद्रोही तेवरों से कैसे जनमानस को भयमुक्त किया जा सकता है तथा सत्याग्रह से भ्रष्टाचार की धार को कैसे मोंथरा किया जा सकता, यह स्व0 धर्मेश जी ने आचरण और कर्मठता से सिखाया।

इसके अलावा वरिष्ठ पत्रकार आनंद कुशवाहा ने श्री दुबे को अपना अजीज मित्र बताते हुए उनके कृतित्व व व्यक्तित्व पर विस्तृत जानकारी दी। इस अवसर पर प्रदीप दुबे एड0, अवधेश भदौरिया, राजवीर सिंह यादव, प्रवीण गुप्ता समेत दर्जनों लोगों ने समाज की ओर से कृतज्ञता स्वरूप अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।स्व0 के अनुज दिनेश दुबे, भतीजे उमेश दुबे पुत्रगण ज्ञानेन्द्र, एडवोकेट सौरभ पाठक, सोमेन्द्र व हेमेन्द्र समेत समस्त परिजनों ने शुद्ध घी के भण्डारे में हजारों लोगों की विनम्र सेवा से भरपूर स्नेहाशीष अर्जित किया और इसे ऐतिहासिक बना दिया।

रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर 

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