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महिलाओं के खाते में सीधे नकद भेजने वाली योजनाओं की सूनामी राज्यों के लिए ठीक नहीं, सामने आया कारण

राज्यों की ओर से घोषित महिला केंद्रित प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजनाओं (सीधे खाते में नकद भेजने वाली योजनाएं) की सुनामी उनकी वित्तीय स्थिति को नुकसान पहुंचा सकती है। भारतीय स्टेट बैंक की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है।

रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं को खाते में सीधे नकद हस्तांतरित करने की योजनाओं का चलन हाल के वर्षों में, विशेष रूप से चुनावों के दौरान काफी बढ़ा है। रिपोर्ट में चेतावनी देते हुए कहा गया है कि इस तरह की पहल राज्य के वित्त को बहुत हद तक प्रभावित कर सकती है।

खाते में पैसे भेजने वाली योजनाएं चुनावी राजनीति से प्रेरित: एसबीआई
एसबीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, “कई राज्यों की ओर से महिलाओं को सीधे खाते में लाभ भेजने वाली योजनाओं की घोषणा उनके वित्तीय स्थिति को नुकसान पहुंचा सकती है।” रिपोर्ट में कुछ राज्यों की ओर से की गई ऐसी घोषणाओं को विशुद्ध चुनावी राजनीति से प्रेरित बताया गया है और कहा गया है कि ऐसी योजनाओं की सुनाी चुनिंदा राज्यों के वित्त को नुकसान पहुंचा सकती है”

रिपोर्ट के नुसार आठ राज्यों में लागू की गई इन योजनाओं की कुल लागत बढ़कर 1.5 लाख करोड़ रुपये को पार कर गई है, यह राशि इन राज्यों की कुल राजस्व प्राप्तियों का 3 से11 प्रतिशत के बीच है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ओडिशा जैसे कुछ राज्य अधिक गैर-कर राजस्व और ऋणों की कमी के कारण इन लागतों का वहन करने के लिए बेहतर स्थिति में हैं, लेकिन कई राज्यों को इस मामले में राजकोषीय चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

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