बालासाहेब थोराट के CLP पद से इस्तीफे ने एक बार फिर महाराष्ट्र कांग्रेस में दरार के संकेत दिए हैं। उन्होंने इस्तीफे के साथ ही मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले को घेरा है। हालांकि, कहा जा रहा है कि महाराष्ट्र कांग्रेस में बीते कुछ समय से उथल पुथल जारी है। नेताओं की टकराव वाली बयानबाजी, एक से ज्यादा ताकत के केंद्र और बगावती सुर पार्टी के लिए चिंता का कारण बने हुए हैं।
महाराष्ट्र कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष थोराट ने मंगलवार को विधायक दल के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने एक दिन पहले ही राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र लिखा था। कहा जा रहा है कि पत्र में उन्होंने पटोले के साथ काम करने में असमर्थता जाहिर की थी। थोराट अहमदनगर जिले की संगमनेर सीट से विधायक हैं। उनके इस फैसले ने सियासी गलियारों में चर्चाएं तेज कर दी हैं। सवाल है कि करीब 138 साल पहले यानी 1885 में तब के बॉम्बे में जन्मी कांग्रेस मुंबई में इतना संघर्ष क्यों कर रही है।
30 जनवरी को हुए नासिक स्नातक क्षेत्र में एमएलसी चुनाव ने कांग्रेस में नया बखेड़ा खड़ा कर दिया था। दरअसल, सीट से कांग्रेस ने सुधीर तांबे को उम्मीदवार बनाने की तैयारी की थी। जबकि, कहा जा रहा है कि तांबे परिवार सुधीर के बेटे सत्यजीत को मैदान में उतारना चाहता था। अब कांग्रेस को पहला झटका तब लगा जब सुधीर का नामांकन दाखिल नहीं हुआ और दूसरा तब जब सत्यजीत ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीत हासिल कर ली। तांबे और थोराट रिश्तेदार हैं।
पश्चिमी राज्य में मजबूत स्थित रखने वाली कांग्रेस को 2019 लोकसभा चुनाव से पहले कई झटकों का सामना करना पड़ा। इनमें कई बड़े परिवारों का पार्टी से अलग होना शामिल था। उदाहरण के लिए सुजय विखे-पाटिल, उनके पिता राधाकृष्ण विखे-पाटिल, पूर्व सांसद हर्षवर्धन पाटिल, नारायण राणे और उनके बेटों का नाम शामिल है।
‘भारत जोड़ो’ यात्रा के बाद कांग्रेस ने ‘हाथ से हाथ जोड़ो’ की शुरुआ की थी। लेकिन राज्य के कई दिग्गज नेता इससे दूरी बनाते दिखे। इनमें थोराट, अशोक चव्हाण, यशोमति ठाकुर और विश्वजीत कदम का नाम शामिल है। महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के बयान के खिलाफ हुए एमवीए के प्रदर्शन से भी चव्हाण दूर रहे थे। साल 2019 में पटोले की ‘पोल खोल यात्रा’ को भी वरिष्ठ नेताओं का खास समर्थन नहीं मिला।
हालांकि, पार्टी ने तांबे पिता-पुत्र को पार्टी से निलंबित कर दिया है, लेकिन मामले में थोराट की चुप्पी को उनके समर्थन के रूप में देखा जा रहा था। जानकारों का कहना है कि राज्य के सभी बड़े नेता साथ काम करते नजर नहीं आ रहे हैं। साथ ही कुछ इसका जिम्मेदार भारतीय जनता पार्टी को बताते हैं, तो कुछ कांग्रेस में ही आंतरिक परेशानियां गिना रहे हैं।