प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मध्य प्रदेश दौरे के बाद समान नागरिक संहिता यानी UCC को लेकर चर्चाएं तेज हैं। अब शिवसेना (उद्धव बालासाहब ठाकरे) इसके तार शरिया कानून से भी जोड़ती नजर आ रही है।
मुखपत्र ‘सामना’ के जरिए पार्टी ने कहा है कि इसका आधार सिर्फ मुसलमानों के कानूनों का विरोध नहीं होना चाहिए। पीएम मोदी ने मंगलवार को देश में UCC लागू करने पर जोर दिया और कहा कि इस मुद्दे पर मुस्लिम समुदाय को भड़काया जा रहा है।
पार्टी ने आरोप लगाए कि 40 विधायकों को अयोग्य ठहराना जरूरी है। आगे लिखा गया, ‘मुख्यमंत्री शिंदे ने कांग्रेस के उन बागी 18 तत्कालीन नगरसेवकों को अयोग्य घोषित करने का आदेश दिया, जिन्होंने विपक्षी कोणार्क आघाड़ी के उम्मीदवार को वोट दिया था। उन पार्षदों पर छह साल तक चुनाव लड़ने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया। यह प्रकरण मतलब ‘एक देश दो कानून’ जैसा नहीं है?’
पार्टी का कहना है, ‘जो अपराध भिवंडी में 18 नगरसेवकों ने किया वही अपराध महाराष्ट्र में 40 विधायकों ने किया; लेकिन मुख्यमंत्री शिंदे, जिनके पास शहरी विकास खाता है, उन्होंनें अपने ही अधिकार में 18 पूर्व नगरसेवकों को महाराष्ट्र नगर निगम सदस्य अयोग्यता अधिनियम, 1986 की धारा 3 (1) (ब) के तहत अयोग्य घोषित कर दिया। यानी मुख्यमंत्री ने माना कि पार्टी बदलना अपराध है, लेकिन उसी अपराध के आरोपी होने के बावजूद वे खुद पर अयोग्यता का वही कानून लागू करने को तैयार नहीं हैं।’
संपादकीय के अनुसार, ‘अब तो बस समान नागरिक संहिता का पालन करना बाकी है। मुस्लिम शरिया कानून का विरोध करना समान नागरिक कानून का आधार नहीं है। कानून और न्याय के तहत समानता भी समान नागरिक कानून है।’ दरअसल, शरिया कुरान की शिक्षाओं तथा पैगंबर मोहम्मद के उपदेशों पर आधारित इस्लामिक धार्मिक कानून है।