लखनऊ। राज्य सरकार ने अपने साढ़े 04 साल के कार्यकाल में प्रदेश में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए बड़े प्रयास किये हैं। शिक्षा के व्यवसायीकरण पर रोक लगाई है। नई शिक्षा नीति को निचले स्तर तक सही और पारदर्शी ढंग से पहुंचाने का काम किया है। शिक्षा का लाभ सीधे छात्रों को भविष्य में मिले इसके लिए उपेक्षित पड़े क्षेत्रों में विश्वविद्यालयों और राजकीय महाविद्यालयों का निर्माण कराया जा रहा है।
– राष्ट्रीय शिक्षा नीति से निचले स्तर तक उच्च शिक्षा का हुआ विस्तार, बदली प्रदेश की तस्वीर
– पूर्व की सरकारों में उपेक्षित रहे सहारनपुर, आजमगढ़ और अलीगढ़ में खुले नए विश्वविद्यालय
– प्रदेश में बन रहे नए राजकीय महाविद्यालय, 13 कॉलेजों में शिक्षण कार्य इसी सत्र से होगा शुरु
सत्ता में आने के बाद से ही सबसे पहले राज्य सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को प्रभावी रूप से लागू कराने के लिए तेजी से काम किया। साढ़े 04 साल के कार्यकाल में सरकार ने उपेक्षित पड़े सहारनपुर में मां शाकुम्भरी विश्वविद्यालय, आजमगढ़ में राज्य विश्वविद्यालय और अलीगढ़ में राजा महेन्द्र प्रताप सिंह राज्य विश्वविद्यालय स्थापित कर दिये हैं। यह पहली सरकार है जिसने उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए पूर्व की सरकारों में उपेक्षित पड़े जनपदों में शिक्षा की अलख जगाने का काम किया है।
सरकार का प्रयास प्रदेश के शिक्षा व्यवस्था को मजबूती प्रदान करना है। इसके लिए प्रदेश के विभिन्न जनपदों में 77 नए राजकीय महाविद्यालयों की स्थापना का काम तेजी से किया जा रहा है। इनमें से 13 कॉलेजों में इस सत्र से शिक्षण कार्य भी शुरू होने जा रहा है। 26 मॉडल राजकीय महाविद्यालयों का संचालन भी शुरु किया जा रहा है। राज्य सरकार ने राज्य विश्विद्यालयों के सुदृढीकरण और विस्तार के लिए 08 संघटक महाविद्यालय बनाने का भी निर्णय लिया है। सरकार ने उच्च शिक्षा में निजी निवेश को प्रोत्साहन देते हुए 03 नए निजी विश्वविद्यालय संचालित करने की भी अनुमति दे दी है।