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‘इंटरनेट का प्रयोग गंदी फिल्में देखने के लिए कर रहें है जम्मू-कश्मीर के लोग’: नीति आयोग के सदस्य

जम्मू-कश्मीर से पिछले साल धारा 370 हटाए जाने के बाद से इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगा दी गई थी। जिसके बाद अब तकरीबन 6 महीने बाद इंटरनेट सेवाओं को शुरू कर दिया गया है। इन सब के बीच NITI आयोग के एक सदस्य ने कहा, जम्मू और कश्मीर में इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाने से कोई आर्थिक नुकसान नहीं हुआ है। आयोग के सदस्य वी के सारस्वत शनिवार को धीरूभाई अंबानी इंस्टीट्यूट ऑफ इंफार्मेशन एंड कम्यूनिकेशन टेक्नालॉजी के के वार्षिक कॉन्वकेशन को संबोधित कर रहे थे। उस दौरान उन्होंने यह बात कही।

 

नीति आयोग के सदस्य वीके सारस्वत ने जम्मू और कश्मीर में केंद्र सरकार द्वारा पिछले साल 5 अगस्त को किये गये इंटरनेट बैन को जायज ठहराया और कहा कि इससे आर्थिक मोर्चे पर कोई नुकसान नहीं हुआ है। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर आए सारास्वत ने कहा कि ‘ये जितने राजनीतिज्ञ वहां जाना चाहते हैं, वो किस लिए जाना चाहते हैं? वो जैसे आंदोलन दिल्ली की सड़कों पर हो रहा है, वो कश्मीर में सड़कों पर लाना चाहते हैं। जो सोशल मीडिया है उसको वो आग की तरह इस्तेमाल करते हैं.तो आपको वहां इंटरनेट ना हो तो क्या अंदर पड़ता है? और वैसे भी आप इंटरनेट में वहां क्या देखते हैं?वहां गंदी फिल्में देखने के अलावा कुछ नहीं करते आप लोग’

आगे उन्होंने कहा कि मैं यहां लोगों को बता रहा हूं कि कश्मीर यदि इंटरनेट नहीं है, तो उससे इकोनॉमी पर कोई असर नहीं पड़ता है। दरअसल, सारस्वत एक सवाल का जवाब दे रहे थे। जिसमें कहा गया था कि जम्मू और कश्मीर इंटरनेट सेवा पर रोक क्यों लगाई गई। जबकि संचार भारत के विकास की चाभी है।

सारस्वत ने कहा, ‘कश्मीर में इंटरनेट को बंद किया गया है, गुजरात में नहीं। उन्होंने कहा कि कश्मीर में इंटरनेट बंद करने का कारण अलग है। अगर धारा 370 को हटाया जाना था, और अगर कश्मीर को आगे ले जाना था, तो हम जानते हैं कि वहां ऐसे तत्व मौजूद हैं जो इस तरह की जानकारी का गलत तरीके से उपयोग करेंगे, जो कानून और व्यवस्था की स्थिति को प्रभावित करेगा, ‘।

राजनीति का अड्डा बना JNU

जेएनयू में जारी विरोध प्रदर्शनों पर, सारस्वत ने कहा कि,JNU के चांसलर ने कहा है ‘JNU एक राजनीतिक युद्ध का मैदान बन गया है। यह 10 रुपये से लेकर 300 रुपये तक फीस वृद्धि का मुद्दा नहीं है। हर कोई स्कोर तय करने की कोशिश कर रहा था। मैं राजनीतिक दलों का नाम नहीं लूंगा।’ उन्होंने कहा कि जेएनयू एक’ वाम-झुकाव ‘संस्थान के रूप में बढ़ रहा है। सारस्वत ने कहा कि’ 600 शिक्षकों में से 300 शिक्षर कट्टर वामपंथी समूह से संबंध रखते हैं।

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