दिव्य फार्मेसी की दवाओं पर लगी रोक को उत्तराखंड आयुर्वेद विभाग ने अपनी गलती मानते हुए वापस ले लिया है। आयुर्वेद विभाग के ड्रग कंट्रोलर डॉ जीसीएस जंगपांगी ने दवाओं पर लगी रोक का कारण त्रुटिवश बताया है। उधर, पतंजलि ने इसे बड़ा षडयंत्र बताते हुए कहा है कि आयुर्वेद विरोधियों से कानून समेत सभी मोर्चों पर लड़ा जाएगा।
लेकिन आयुर्वेद विभाग की ओर से जारी आदेश से हड़कंप मच गया। आयुर्वेद विभाग का आदेश जारी होते ही दिव्य फार्मेसी ने सरकार के आदेश पर कड़ी आपत्ति जताई और कंपनी अपनी दवाओं को सही ठहराते हुए बचाव में उतर गई। दिव्य फार्मेसी की ओर से जारी बयान में कहा गया कि स्वदेशी दवा कंपनी को बदनाम करने की साजिश के तहत यह आदेश किया गया है।
फार्मेसी ने कहा कि उनकी एक एक दवाई क्लीनिकल ट्रायल और शोध के आधार पर तैयार की जाती है और दवाओं के उत्पादन पर लगाई गई रोक पूरी तरह गलत है। वहीं #पतंजलि की सहयोगी दिव्य फार्मेसी ने आयुर्वेद विभाग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। दिव्य फार्मेसी की ओर से शनिवार को जारी बयान में कहा गया है कि पतंजलि ने 30 सालों के रिसर्च के बाद विश्व में सबसे पहले आयुर्वेद दवाओं को रिसर्च एण्ड एविडेंस बेस्ड मेडिसिन के रूप में स्वीकार्यता दिलाई।
उन्होंने राज्य के आयुर्वेद के संबंधित जिम्मेदार अफसरों के ज्ञान पर सवाल उठाते हुए उन्हें असंवेदनशील भी बताया। कहा कि ऐसा करके न केवल आयुर्वेद की ऋषि परंपरा को कलंकित किया बल्कि अविवेकपूर्ण त्रुटि से आयुर्वेद की परम्परा एवं प्रामाणिक अनुसंधान पर प्रश्नचिन्ह खड़ा किया। दिव्य फार्मेसी ने कहा कि जिस विभाग का काम आयुर्वेद को गौरव दिलाने का है वह उसी को बदनाम करने में लगा है।
कहा कि पतंजलि विश्व की पहली संस्था है जिसके वैश्विक स्तर पर सर्वाधिक रिसर्च पेपर्स प्रकाशित हुए हैं। उसके पास दो एनएबीएच हॉस्पिटल हैं और अंतराष्ट्रीय मानकों के स्तर की अनेक एनएबीएल लैब हैं। जहां पर 500 से अधिक वैज्ञानिक सेवाएं दे रहे हैं।
दिव्य फार्मेसी की दवाओं पर गलती से रोक लगाए जाने की वजह से आयुर्वेद विभाग के अफसरों पर सवाल खड़े हो गए हैं। बिना पर्याप्त जानकारी के लगाई गई इस रोक की वजह से न केवल #दिव्य_फार्मेसी की छवि को नुकसान पहुंचा बल्कि इससे राज्य सरकार और आयुर्वेद विभाग की छवि पर भी बट्टा लग गया। बिना जानकारी के दिव्य फार्मेसी की दवाओं पर रोक लगने की वजह से अब विभाग के जिम्मेदार अफसरों पर भी कार्रवाई की तलवार भी लटक गई है।
दरअसल केरल के एक डॉक्टर की शिकायत पर आयुर्वेद विभाग के #ड्रग कंट्रोलर ने नौ नवम्बर को दिव्य फार्मेसी की पांच दवाओं के उत्पादन पर रोक लगा दी थी। साथ ही भ्रामक प्रचार व अन्य मामलों में पांचों दवाओं के लेबल और फार्मुलेशन शीट तलब की गई थी। विभाग के आदेश के अनुसार दिव्य फार्मेसी की पांचों दवाओं को लेकर फिर से विभागीय एक्सपर्ट कमेटी की बैठक होनी थी, जिसे दवा के अवयवों की दुबारा जांच करनी थी।