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सूपोषण के विविध प्रयास

 डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

सूपोषण के प्रति दुनिया का द्रष्टिकोण बदल रहा है. इसके लिए अब मोटे अनाज और भारतीय जीवन-शैली को सर्वाधिक उपयोगी माना जा रहा है. भारतीय जीवन-शैली प्रकृति के निकट है. इस कारण इसके व्यापक लाभ है. इसमें अहार विचार और योग आदि का भी समावेश है. नरेन्द्र मोदी के प्रयासों से पूरी दुनिया में योग लोकप्रिय हो रहा है. मन की बात में प्रधानमंत्री ने इसका उल्लेख किया.कहा कि भारत विश्व में मोटे अनाज का सबसे बड़ा उत्पादक देश है और संयुक्त राष्ट्र की इसे बढ़ावा देने की पहल को सफल बनाने की बड़ी जिम्मेदारी भारत सौपी है। इसे जन आंदोलन बनाना है और देश के लोगों में मोटे अनाज के प्रति जागरुकता भी बढ़ानी है।

मोटा अनाज किसानों खासकर छोटे किसानों के लिए भी लाभदायक है. संयुक्त राष्ट्र ने एक प्रस्ताव पारित कर वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट मोटा अनाज वर्ष घोषित किया है। भारत के इस प्रस्ताव को सत्तर से ज्यादा देशों का समर्थन मिला था। आज दुनिया भर में मोटे अनाज के प्रति उत्साह बढ़ता जा रहा है। मोटे अनाज जैसे बाजरा, जौ ज्वार को सुपरफूड की श्रेणी में रखा जा रहा है। देश में मोटे अनाज मिलेट को बढ़ावा देने के लिए बहुत कुछ किया जा रहा है।

इससे संबंधित अनुसंधान और नवाचार पर ध्यान केंद्रित करने के साथ-साथ फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन को प्रोत्साहित किया जा रहा है, ताकि उत्पादन बढ़ाया जा सके। इसी प्रकार अमृत सरोवर का निर्माण एक जन आंदोलन बन गया है. चार महीने पहले उन्होंने अमृत सरोवर की बात की थी। उसके बाद अलग-अलग जिलों में स्थानीय प्रशासन, स्वयं सेवी संस्थाएं और स्थानीय लोग ने मिलकर अमृत सरोवर का निर्माण को एक जन आंदोलन बना दिया है।

प्रधानमंत्री ने लोगों से आने वाले पोषण माह में कुपोषण उन्मूलन के प्रयासों में भाग लेने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि सामाजिक जागरुकता के प्रयास कुपोषण की चुनौतियों से निपटने में अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि सितम्बर का महीना त्योहारों के साथ-साथ पोषण से जुड़े बड़े अभियान को भी समर्पित है। हर साल एक से तीस सितम्बर के बीच पोषण माह मनाते हैं। कुपोषण के खिलाफ पूरे देश में अनेक रचनात्मक और विविध प्रयास किए जा रहे हैं।

प्रौद्योगिकी का बेहतर इस्तेमाल और जन-भागीदारी भी पोषण अभियान का महत्वपूर्ण हिस्सा बना है। देश में लाखों आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को मोबाइल डिवाइस देने से लेकर आंगनबाड़ी सेवाओं की पहुंच को मॉनिटर करने के लिए पोषण ट्रैकर भी लॉन्च किया गया है। सभी आकांक्षी जिले और उत्तर पूर्व के राज्यों में बेटियों को भी, पोषण अभियान के दायरे में लाया गया है। कुपोषण की समस्या का निराकरण इन कदमों तक ही सीमित नहीं है। इस लड़ाई में, दूसरी कई और पहल की भी अहम भूमिका है। उदाहरण के तौर पर, जल जीवन मिशन को ही लें, तो भारत को कुपोषणमुक्त कराने में इस मिशन का भी बहुत बड़ा असर होने वाला है।

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