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कपोल कल्पना का कुचक्र!

दिल्ली सीमा पर चल रहा आंदोलन किसानों के नाम पर था। इसलिए सरकार ने अपनी तरफ से वार्ता का प्रस्ताव किया था। कई चरण की वार्ता हुई। सरकार ने आंदोलनकारियों से सुझाव आमंत्रित किये। लेकिन ऐसा लगा कि आंदोलन किसी सार्थक विचार के अनुरूप नहीं था। इसलिए सुझाव की जगह तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग ही की गई।

जबकि इसी अवधि में देश के अन्य हिस्सों में नकारात्मक प्रतिक्रिया दिखाई नहीं दी। विपक्षी पार्टियों के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन अवश्य किये,लेकिन इसका स्वरूप किसी किसान आंदोलन जैसा नहीं था। अब पहले जैसे कद्दावर किसान नेता भी नहीं रहे। अनेक किसान संघठनों ने कृषि कानून का समर्थन भी किया है। यहां तक कि पंजाब हरियाणा के किसानों का हित भी सरकार द्वारा किये गए सुधारों में निहित है।

वहां एक ही प्रकार की फसलों का नुकसान किसानों को उठाना पड़ रहा है। बिचौलियों को अवश्य इसका लाभ मिल रहा है। शायद यही कारण है कि इतने दिनों तक सुविधाओं के साथ आंदोलन जारी है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इसमें गैर किसानों की भूमिका पर सवाल उठाए है। कहा कि कुछ लोग किसानों से झूठ बोल रहे हैं कि एमएसपी बंद कर दी जाएगी। किसानों को राजनीतिक स्वार्थ से प्रेरित कुछ लोगों द्धारा फैलाए जा रहे इस सफेद झूठ को पहचानना चाहिए। इसको सिरे से खारिज करना चाहिए। नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा किसानों को पर्दे के पीछे से गुमराह करने वाले 1962 की भाषा बोल रहे हैं। दंगों के आरोपियों को छोड़ने की आवाज बुलंद की जा रही है।

किसान कल्याण के छह वर्ष

पिछले छह साल में मोदी सरकार ने किसानों का मुनाफा बढ़ाने और खेती को आसान बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। इनका फायदा छोटे किसानों को मिल रहा है। पीएम किसान सम्मान निधि के जरिए छह हजार रुपये सालाना देने का मकसद यही था कि इन किसानों को कर्ज न लेना पड़े। फसल बीमा,सॉयल हेल्थ कार्ड और नीम कोटिंग यूरिया जैसी योजनाएं शुरू की गई हैं। किसानों के सामने दिक्कत थी कि ज्यादातर गोदाम और कोल्ड स्टोरेज सेंटर गांवों से दूर शहरों के पास बने थे। इससे किसानों को उनका फायदा नहीं मिलता था। इसके के लिए सरकार ने एक लाख करोड़ रुपये का फंड बनाया है।

असत्य है आशंकाएं

न्यूनतम समर्थन मूल्य व कृषि मंडी समाप्त करने की बात असत्य व निराधार है। नरेंद्र सिंह तोमर ने लिखा कि नए कानून लागू होने के बाद इस बार एमएसपी पर सरकारी खरीद के भी पिछले सारे रिकॉर्ड टूट गए हैं। ऐसे समय में जब हमारी सरकार एमएसपी पर खरीद के लिए नए रिकॉर्ड बना रही है, खरीद केंद्रों की संख्या बढ़ रही है,कुछ लोग किसानों से झूठ बोल रहे हैं कि एमएसपी बंद कर दी जाएगी। देश के अन्य क्षेत्रों में किसानों ने नए कानूनों का लाभ उठाना शुरू भी कर दिया है। विरोधी काल्पनिक झूठ फैला रहे हैं कि किसानों की जमीन छीन ली जाएगी। जब किसान और व्यापारी के बीच एग्रीमेंट सिर्फ उपज का होगा तो जमीन कैसे चली जाएगी।

रिपोर्ट-डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

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