Breaking News

किसानों के साथ छलावा कर रही है मोदी सरकार, गंगाजल की शपथ लेकर भी झूठ बोल रहे पीएम: सुनील सिंह

लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील सिंह ने किसानों के हित के लिए केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. उन्‍होंने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) गंगाजल की शपथ लेकर झूठ बोल रहे हैं. यह किसान विरोधी सरकार है. सरकार ने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के आधार पर न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी लागू किया है.

लेकिन साल 2018-19 के लिए सरकार द्वारा तय किया गया न्यूनतम समर्थन मूल्य स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के मुकाबले काफी कम है. स्वामीनाथ आयोग ने अपनी सिफारिश में कहा था कि न्यूनतम समर्थन मूल्य उत्पादन लागत में 50 प्रतिशत जोड़कर दिया जाना चाहिए. इसका मतलब यह है कि किसान ने अपना अनाज उगाने में जितनी राशि खर्च की होगी उसका डेढ़ गुना दाम उसे मिलना चाहिए. तो मिली क्यों नहीं?

श्री सिंह ने कहा है कि किसानों को ये पता ही नहीं है कि जब वो फसलों का उत्पादन करता है इसका मतलब ये है कि वो अपने लिए घाटे का उत्पादन कर रहा है. सरकारें चाहती हैं कि किसान खत्म हो जाएं. सरकार जान-बूझकर किसानों की आय को बढ़ने नहीं दिया. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 1976 में गेहूं की एमएसपी 76 रुपये प्रति क्विंटल था और उस समय टीचर की सैलरी 90 रुपये हर महीने थी. वहीं 2015 में किसान की एमएसपी बढ़ कर 1,450 रुपये हो गई. यानी कि कुल मिलाकर एमएसपी 19 गुना बढ़ी।

श्री सिंह ने आगे कहा, ‘इसकी दौरान सरकारी कर्मचारियों की सैलरी (सिर्फ बेसिक और डीए) 120 से 150 गुना तक बढ़ाई गई. विश्वविद्यालय प्रोफेसर और लेक्चरर की सैलरी 150 से 170 गुना तक बढ़ाई गई. शिक्षकों की सैलरी 280 से 320 गुना तक बढ़ती है. अगर 100 गुना भी गेहूं का दाम बढ़ता तो 2019 में इसे 8,600 रुपये प्रति क्विंटल होना चाहिए था.’सरकार का दावा है कि मूंग की एमएसपी में पिछले साल के मुकाबले 1,400 रुपये की वृद्धि की गई है लेकिन अगर लागत से इसकी तुलना करें तो ये बढ़ोतरी मात्र 13.21 प्रतिशत ही है. मूंग का लागत मूल्य (सी2) 6,161 रुपये है. इस हिसाब से लागत का डेढ़ गुना एमएसपी 9,241.5 रुपये होता है.

हालांकि, सरकार ने मूंग के लिए 6,975 रुपये न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया है.सरकार किसानों के साथ छलावा कर रही और निजी कंपनियों का साथ दे रही है. देश में बेरोजगारी बढ़ रही है और किसान ठगा जा रहा. किसानों की समस्या के लिए पूजीपतियों के साथ-साथ अर्थशास्त्री सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं. प्रधानमंत्री के साथ बैठे हुए उद्योगपति और सीएसीपी में बैठे अर्थशास्त्री उत्पादन लागत की गणना सही तरीके से नहीं करते हैं, जिसकी वजह से एमएसपी हमेशा कम हो जाती है. किसानों ने देश को फेल नहीं किया है बल्कि उद्योगपतियों और अर्थशास्त्रियों ने किसानों को फेल कर रही है पर किसान इनकी मनसा को सफल नहीं होने देंगे.

About Samar Saleel

Check Also

अनूठा है सीएमएस का बाल फिल्मोत्सव, छात्रों-शिक्षकों व अभिभावकों की आम राय

लखनऊ। सिटी मोन्टेसरी स्कूल कानपुर रोड ऑडिटोरियम में चल रहे अन्तर्राष्ट्रीय बाल फिल्मोत्सव में 91 ...