विंध्याचल देवी धाम इक्यावन शक्तिपीठों में से एक है। शास्त्रों के अनुसार विंध्याचल में मां जगदम्बा की शक्ति समाहित है। श्रीमद देवीभागवत के दशम स्कन्ध के अनुसार ब्रह्म के मानस पुत्र मनु के तप से प्रसन्न होकर देवी भगवती ने उनको आशीर्वाद दिया था। वर देने के बाद महादेवी विंध्याचलपर्वत पर चली गई थी।
मान्यत है कि त्रेता युग में भगवान श्रीरामचन्द्र सीताजी व लक्ष्मण जी के साथ विंध्याचल आए थे। वैसे सभी इक्यावन शक्तिपीठों के साथ कोई न कोई रोचक कथा जुड़ी है। इस पूरे क्षेत्र में कजरी पर्व की भी बड़ी महिमा है।
यह भी मां विंध्यवासिनी के प्रादुर्भाव से जुड़ा है। प्रतिवर्ष विंध्याचल मंदिर परिसर में राष्ट्रीय स्तर का शास्त्रीय संगीत सम्मेलन होता है। इसमें देश के प्रतिष्ठित संगीत साधक अपनी शैली में मां का गुणगान करते है। पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की पत्नी ललिता शास्त्री द्वारा मां विंध्यवासिनी पर लिखी गई कजरी भी बहुत प्रसिद्द है–
मैय्या झूलें चनन झुलनवा
पवनवा चंवर झुलावे ना
काशी के अंतराष्ट्रीय स्तर के संगीत साधक मां के दरबार परिसर में कजरी गायन के लिए आते रहे है। प्रसिद्ध गायिका बागेश्वरी देवी विंध्याचल के निकट रहकर संगीत साधना करती रही है।
रिपोर्ट-डॉ. दिलीप अग्निहोत्री