मणिपुर के इम्फाल में महिला प्रदर्शनकारियों द्वारा घारी इलाके में एक मुख्य सड़क को अवरुद्ध करने के बाद फिर हिंसा भड़क उठी है। विरोध प्रदर्शन के दौरान महिला प्रदर्शनकारियों ने टायर जलाए, जिसके बाद पुलिस को कार्रवाई करनी पड़ी।
प्रदर्शनकारियों को शांत करने के लिए मणिपुर सशस्त्र पुलिस, सेना और त्वरित कार्रवाई बटालियन मौके पर पहुंची। उन्होंने सबसे पहले वहां आग बुझाई और स्थिति को नियंत्रित किया। प्रदर्शनकारियों पर काबू पाने के लिए कई इलाकों में फ्लैग मार्च किया गया।
मणिपुर में 3 मई से इम्फाल घाटी में केंद्रित बहुसंख्यक मैतेई और पहाड़ियों पर कब्जा करने वाले कुकी लोगों के बीच जातीय झड़पें हो रही हैं। हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। यहां तीन मई को हिंसा भड़क उठी थी, जब मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च का आयोजन किया गया था।
मणिपुर में धीरे-धीरे स्थिति सामान्य हो रही थी। 4 मई का एक वीडियो बुधवार को सामने आया। इसके बाद वहां हिंसा फिर से भड़क उठी है। इस वीडियो ने देश भर में आक्रोश पैदा कर दिया है। कांग्रेस ने मांग की है कि हिंसा प्रभावित राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाना चाहिए। इस घटना से संबंध पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने शुक्रवार को संसद के मानसून सत्र शुरू होने से ठीक एक दिन पहले एक वायरल वीडियो के जारी होने के समय पर सवाल उठाया है। उन्होंने दावा किया कि इस वीडियो के लीक होने के पीछे राजनीति है। उन्होंने दावा किया कि पूर्वोत्तर खासकर मणिपुर, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश में बलात्कार की घटनाएं कम होती हैं।
मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है। वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नागा और कुकी की संख्या 40 प्रतिशत है, जो ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं। प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से आगजनी, लूट, हिंसा और भीड़ जमा होने की कई घटनाएं सामने आई हैं।